जानकारी अनुसार उक्त बुजुर्ग महिला बूड़ा गुज्जर रोड पर मिट्टी के गारे की खड़ी की 2-2 फीट की दीवारों के सहारे दिन काट रही थी और हालात इतने बुरे हो गए थे कि महिला के शरीर पर कीड़े पडऩे शुरू हो गए थे।
इस सबंधी बार एसोसिएशन जलालाबाद के अध्यक्ष सकेत बजाज ने बताया कि पता लगा है कि उक्त बुजुर्ग महिला का सारा परिवार पढ़ा लिखा है और उच्च पदों पर बिराजमान है और ऐसी घटना समाज के लिए कलंक और निंदनीय है क्योंकि एसडीएम जैसे पद पर बैठ कर न्याय देना एक जिम्मेवारी है और उक्त बुजुर्ग की रिश्तेदार पौती एसडीएम जो कि अबोहर में तैनात है। काफी अखबारों की सुर्खियों में रही है लेकिन पिछले दिनी उनकी दादी की दर्दनाक तरीके के साथ हुई मौत ने समाज को झिंझोर कर रख दिया है और इसके इलावा उक्त परिवार के लिए बड़ी लाहनत से कम नहीं है क्योंकि मौजूदा एसडीएम फरीदकोट जो कि अपनी दादी को संभाल नहीं सकी और उसके अंतिम संस्कार पर नहीं पहुंची और आम जनता उनसे न्याय की क्या उम्मीद रखेगी। सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों में नैतिकता के आधार पर सरकार को ऐसे अफसरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए।
संत कबीर गुरूकुल स्कूल की प्रिंसीपल मैडम अरचना गाबा का कहना है कि सड़क किनारे एक बुजुर्ग महिला की इतनी बुरी हालत में रहना और बाद में मौत होना हमारे प्रशासनिक ढांचे पर सवाल खड़े करता है और हमारी मानवता के लिए असफलता है। भले ही इस के लिए जिम्मेवार परिवार दुनिया में पूरी तरह शर्मिंदा हो चुका है लेकिन परमात्मा के घर में उन्हें सजा जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि बच्चों की ख्वाइशें पूरी करने की बजाए उन्हें अच्छे संस्कार दें और शिक्षा पर जोर दें ताकि जब वे अपने पैरों पर खड़े हो तो खुद ख्वाइशें पूरी कर सकें। उन्होंने कहा कि जो बच्चा खुद मेहनत करके आगे बढ़ेगा और उससे संस्कार मिले होंगे तो वे अपने अभिभावकों की भी सम्मान भी रखेगा।
अर्चना गाबा प्रिंसीपल संत कबीर गरूकुल स्कूल जलालाबाद
इस सबंधी और भी बुद्धिजीवियों ने अपने विचार दिए, फिलहाल वे बुजुर्ग मां इस दुनिया से जा चुकी है पर जो लाहनतें इस परिवार को समाज दे रहा है उसे लंबे समय तक भुगतनी पड़ेगी और अन्य लोगों को भी सबक लेना चाहिए जो लोग अपने माता-पिता को इस तरह छोड़ देते हैं।
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