देशभर में आए दिन प्रेमी जोड़ों की हत्या की खबरें सुनने को मिलती रहती है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में किसी दूसरे धर्म में या परिवार की बिना रजमंदी के शादी करना अच्छा नहीं माना जाता और इसी प्रथा की भेंट हर साल तमाम प्रेमी जोड़ों की हत्या कर दी जाती है. अपने परिजनों से जान की डर के वजह से तमाम प्रेमी जोड़े घर छोड़कर भाग जाते हैं बावजूद इसके उन्हें पकड़ कर तरह तरह की यातनाएं दी जाती हैं. आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जो घर से भागे प्रेमी जोड़ों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है.
जहां न उन्हें समाज का कोई डर रहता और ना ही किसी के पकड़े जाने का. यही नहीं यहां के लोग किसी मेहमान की तरह ही उनकी आव भगत भी करते हैं.
साथ ही उनकी जमकर मेहमान नवाजी होती है. गांव के लोग देवता के आदेशों के तहत इन लोगों की रक्षा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास में इस इलाके में पहुंचे तो लोगों ने उन्हें यहां शरण दी. लेकिन उनका पीछा करते हुए कौरव भी यहां पहुंच गए. जिसके बाद शंगचूल महादेव ने उन्हें गांव में घुसने से रोक दिया. महादेव ने कहा यहां जो मेरी शरण में आएगा उसकी रक्षा मैं करूंगा.
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उसके बाद आज सदियां बीत जाने के बाद भी यहां यही परंपरा चली आ रही है और इस गांव के लोग इसी परंपरा के मुताबिक भागे हुए प्रेमी जोड़ों की हिफाजत करते हैं. यही नहीं इस गांव में पुलिस को भी इंट्री नहीं मिलती और ना ही कोई मांस, शराब, चमड़े के सामान को इस गांव में ला सकता है.
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बताया जाता है कि पांडवों का पीछा करते हुए जब कौरव इस गांव में पहुंच गए तो महादेव के डर से कौरव वापस लौट गए. इसके बाद से यहां परंपरा शुरू हो गई और यहां आने वाले भक्तों को पूरी सुरक्षा मिलने लगी. कहते हैं कि जब तक मामले का निपटारा न हो जाए ब्राह्मण समुदाय के लोग यहां आने वालों की पूरी आव भगत करते हैं.
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उनके रहने से खाने तक की पूरी जिम्मेवारी यहां के लोग ही उठाते हैं. इस गांव में कोई व्यक्ति हथियार लेकर प्रवेश नहीं कर सकता. यही नहीं किसी से ऊंची आवाज में बात करना भी इस गांव में निषेध है. यहां देवता का ही फैसला मान्य होता है.
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