5 मार्च 2020 , संस्कार न्यूज़ , पवन भार्गव
मध्य प्रदेश का चंबल-ग्वालियर संभाग कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का मजबूत गढ़ माना जाता है. बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस के जरिए सिंधिया के इलाके के ही ज्यादातर विधायकों को साधने की कवायद की है. हालांकि दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी की कोशिशों ने कमलनाथ सरकार के संकट को फिलहाल टाल दिया है, लेकिन सिंधिया पूरे सीन में कहीं भी नजर नहीं आए.

- मध्य प्रदेश में विधायकों की बगावत से बढ़ी सरकार की टेंशन
- चंबल-ग्वालियर संभाग के MLA ने उड़ाई कमलनाथ की नींद
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल जारी है. कमलनाथ सरकार को समर्थन करने वाले करीब 10 विधायकों ने बीजेपी खेमे में खड़े होकर ऐसा तेवर दिखाया, जिससे कांग्रेस के पसीने छूट गए. एमपी में बीजेपी के ऑपरेशन लोटस के जरिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के मजबूत दुर्ग चंबल इलाके में सेंध लगाने की कवायद की गई है, जिसकी सिंधिया को हवा तक नहीं लग सकी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही खुलकर न बोलते हों, लेकिन मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री न बन पाने के बाद से ही उनके समर्थकों के बीच इसकी कसक साफ तौर पर देखी जा सकती है. सिंधिया ने हाल ही में जिस तरह से तेवर अख्तियार किया है, उससे कमलनाथ सरकार की बेचैनी बढ़ गई थी. राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले जिस तरह से सिंधिया के इलाके के और समर्थक विधायकों ने बागी तेवर अख्तियार किया है, उसने कांग्रेस को बेचैन कर दिया है.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 114 विधायकों में से करीब 35 से ज्यादा विधायक पार्टी के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक बताए जाते हैं. मध्य प्रदेश के चंबल संभाग को सिंधिया का मजबूत किला माना जाता है. बीजेपी ने सिंधिया के इसी इलाके में ऑपरेशन लोटस को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की है, जिसका नतीजा है कि बगावती तेवर अख्तियार करने वाले ज्यादातर विधायक चंबल-ग्वालियर संभाग से हैं, जिन्होंने कमलनाथ सरकार की नींद उड़ाकर रखा दिया है.
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कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरकार में मंत्री जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह मोर्चा संभाले हुए हैं. कांग्रेस छह विधायकों को वापस लाने में कामयाब रही, लेकिन चार विधायक अभी भी बीजेपी के कब्जे में हैं. कांग्रेस विधायक बिसाहू लाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, रघुराज सिंह कंसाना और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अभी भी पार्टी की पकड़ से दूर बीजेपी के कब्जे में हैं. ये चारो विधायक चंबल इलाके से आते हैं, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरे सीन से गायब नजर आ रहे हैं और पूरी तरह से खामोशी अख्तियार कर रखा है.
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