इंदौर. सूचना के अधिकार कानून (आरटीआइ) को सरकारी विभाग ही नहीं, सरकार भी भूल गई है। राज्य सूचना आयोग में अपीलों की सुनवाई की गति बहुत धीमी है। कई मामलों में फैसलों के लिए आरटीआइ लगाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार के वेब पोर्टल से आरटीआइ कमीशन का पेज भी गायब है। राज्य सूचना आयोग के साइट एड्रेस को गूगल पर ढूंढने की कोशिश करेंगे तो इसका जवाब भी पेज नाट फाउंड ही मिल रहा है। आयोग में 7 आयुक्त होने के बाद भी 10 हजार से ज्यादा अपीलें लंबित हैं।
राज्य सूचना आयोग की कार्यप्रणाली पर कुछ इस तरह के सवाल मप्र सूचना अधिकार का जन अभियान व सूचना शक्ति से संबंद्ध आरटीआइ कार्यकर्ताओं ने उठाए हैं। कोठारी कॉलेज में रविवार को आयोजित कार्यशाला में सरकारी विभागों से सूचनाएं प्राप्त करने में आ रही समस्याओं को प्रदेश भर से आए आरटीआइ कार्यकर्ताओं ने उठाए। कार्यकर्ताओं ने कहा, सूचना को अधिकार बताने वाली सरकारें ही इस कानून को कमजोर करने में लगी हैं। हाल ही में शीर्ष कोर्ट द्वारा सूचना कार्यकताओं पर की गई टिप्पणी भी उचित नहीं है, क्योंकि सरकारी आंकड़े ही कह रहे हैं कि देशभर में आज तक एक भी प्रकरण इस संबंध में रिपोर्ट नहंी किया गया है। कार्यशाला में राज्यभर से आए कार्यकर्ता मौजूद थे।
सूचना शक्ति के गौतम कोठारी व अभियान की रोली शिवहरे, कैलाश सनोलिया, सुशील जसवानी ने बताया, सरकारी विभागों के रूख से परेशानी बढ़ रही है। कार्यकर्ताओं ने कहा, सूचना प्राधिकारी ही सूचनाएं देने से बच रहे हैं। इस कारण से आयोग में अपीलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। करीब 10 हजार अपीलें लंबित हैं। 2012 की अपीलों पर ही फैसले नहीं हो सके हैं। इसके लिए प्रदेश स्तर पर रणनीति तय की गई है। एक संगठन बना रहे हैं। यह आयोग के अध्यक्ष से मिल कर मौजूदा कार्य प्रणाली की कमियों को बताएगा। यदि इस पर भी सुनवाई नहंी हुई तो आंदोलन करेंगे। कार्यक्रम में अंजलि भरद्वाज, अमृता जौहरी, श्रुतिका पांडे, विली पीएस व अन्य मौजूद थे।
आयोग ही नहीं कर रहा धारा-4 का पालन
अधिनियम की धारा-4 के तहत सभी सरकारी विभागों को सामान्य जानकारियों का प्रकाशन करना होता है। वर्तमान में विभाग इसका ही पालन नहीं कर रहे हैं। छोटी-छोटी जानकारियों के लिए आवेदन लगाए जा रहे हैं। नहीं मिलने और प्रथम अपील भी खारिज होने पर मामले भोपाल आयोग तक पहुंच रहे हैं। आयोग से संबंधित सूचनाएं भी कार्यालय में नहीं मिलती हैं। इसकी शिकायत भी की जाएगी।
अधिनियम की धारा-4 के तहत सभी सरकारी विभागों को सामान्य जानकारियों का प्रकाशन करना होता है। वर्तमान में विभाग इसका ही पालन नहीं कर रहे हैं। छोटी-छोटी जानकारियों के लिए आवेदन लगाए जा रहे हैं। नहीं मिलने और प्रथम अपील भी खारिज होने पर मामले भोपाल आयोग तक पहुंच रहे हैं। आयोग से संबंधित सूचनाएं भी कार्यालय में नहीं मिलती हैं। इसकी शिकायत भी की जाएगी।
सूचनाएं ही नहीं मिल रही
आयोग की वेबसाइट भी अनियमित है। वर्तमान में नाट फाउंड का नोटिफिकेशन मिल रहा है। इससे आयोग के आदेश या काज लिस्ट आदि की जानकारी नहीं मिलती है। वार्षिक प्रतिवेदन भी त्रुटिपूर्ण है।
आयोग की वेबसाइट भी अनियमित है। वर्तमान में नाट फाउंड का नोटिफिकेशन मिल रहा है। इससे आयोग के आदेश या काज लिस्ट आदि की जानकारी नहीं मिलती है। वार्षिक प्रतिवेदन भी त्रुटिपूर्ण है।
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