परिवार व्यवस्था टूटने से प्राणी जगत में इंसान की श्रेष्ठता खतरे में : संत कुलदर्शन विजयजैन संत ने परिवार बचाओ आध्यात्मिक शिविर में बताए परिवार बचाने के उपाय, कहा- परिवार का संचालन दिमाग से नहीं बल्कि दिल से हो । - The Sanskar News

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Sunday, July 31, 2022

परिवार व्यवस्था टूटने से प्राणी जगत में इंसान की श्रेष्ठता खतरे में : संत कुलदर्शन विजयजैन संत ने परिवार बचाओ आध्यात्मिक शिविर में बताए परिवार बचाने के उपाय, कहा- परिवार का संचालन दिमाग से नहीं बल्कि दिल से हो ।

द संस्कार न्यूज 31जुलाई2022
न्यूज बाय दीपक शाक्य पोहरी ब्यूरो चीफ
शिवपुरी। प्राणी जगत में इंसान की श्रेष्ठता का कारण यदि ढूंढे तो दौडऩे में हिरण, सुंदरता में मोर, ताकत में हाथी और पहाड़ों पर चढऩे में बंदर इंसान से कोसों आगे हैं। लेकिन एक परिवार व्यवस्था ही ऐसी है, जिसके कारण इंसान प्राणी जगत का सिरमौर है। मनुष्य के जन्म लेने से लेकर उसकी आखिरी सांस तक परिवार उसके साथ रहता है। लेकिन वर्तमान युग में परिवार व्यवस्था टूटती जा रही है और इसके साथ ही इंसान की श्रेष्ठता पर भी एक प्रश्रचिन्ह लग गया है। उक्त उदगार आराधना भवन में प्रति रविवार को आयोजित धार्मिक शिविरों की श्रृंखला में परिवार बचाओं विषय पर धारा प्रवाह रूप से दिए गए प्रेरक उदबोधन में पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी महाराज ने व्यक्त किए। अपने डेढ़ घंटे के ओजपूर्ण, भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी प्रवचन में मुनि कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि परिवार व्यवस्था टूटने के कारण ही जीवन में तनाव, घुटन, बैचेनी, डिप्रेशन, हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर और डायविटीज जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। सेव फैमिली विषय पर आयोजित इस शिविर के लाभार्थी केवलचंद्र जी अशोक कुमार गुगलिया परिवार थे। शिविर के बाद साधार्मिक वात्सल्य का लाभ इस परिवार ने उठाया।
    पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने अपने प्रवचन के प्रारंभ में कहा कि समय के साथ बड़े परिवारों की गौरवशाली परम्परा समाप्त हो गई है। परिवार सीमित और छोटे हो गए हैं। लेकिन इन छोटे परिवारों में भी विघटन की स्थिति बनना चिंता का विषय है। जितना भी हमारा छोटा बडा परिवार हो उसे बचाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि परिवार टूटने के तीन ही कारण हैं, या तो सम्पत्ति या वर्चस्व अथवा मुंह से बोले गए शब्द। शब्दों के भाव इतने गंभीर होते हैं कि उनके कारण ही रामायण और महाभारत घटित होती है। महाराज श्री ने कहा कि परिवार ही एक ऐसा है, जिसकी प्राप्ति पुण्य से होती है। सम्पत्ति हो या पद उसके लिए पुरूषार्थ करना पड़ता है। पुण्य से प्राप्त उपलब्धि को कैसे हम बचाएं यह एक बड़ी चुनौती है।
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समाप्त करें झगड़े, योग्यता को तरासें और करें प्रोत्साहित
परिवार बचाने के 6 उपायों को महाराज श्री ने एप की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि पहला एप है कि फिनिश फाइट। परिवार में यदि झगडे होते हैं तो उन्हें जल्द से जल्द समाप्त कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि बर्तन होते हैं तो खटकेगें ही। लेकिन झगड़े ज्यादा लम्बे नहीं चलना चाहिए। झगड़े की दीवारें जितनी मजबूत होती जाती हैं, उतना परिवार टूटने का खतरा बढ़ता जाता है। झगड़े होने पर दो ही विकल्प हैं या तो अपने अहंकार को बचो लो या फिर अपने रिलेशन को। परिवार बचाने के लिए गलती नहीं होने पर भी झुकना घाटे का सौदा नहीं है। जैन धर्म के नवकार मंत्र में प्रथम अक्षर नमन ही है। परिवार बचा रहे इसके लिए दूसरे एप फाइंड एबिलिटी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो व्यर्थ है। हर व्यक्त्ति अपनी अलग विशेषता लिए जन्म लेता है। परिवार के मुखिया का यह दायित्व है कि वह एक-एक सदस्य की योग्यता को पहचाने और उसे तरासने का काम करे। प्रोत्साहन, प्रेम और प्रेरणा से उसकी छुपी हुई योग्यताओं को बाहर निकालें। तीसरे एप की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ यहीं नहीं रूकना है बल्कि घर के एक-एक सदस्य को बार-बार उत्साहित करना है। इस एप को उन्होंने अपनी भाषा में फ्रीक्वंटली मोटिवेशन नाम दिया।
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महत्व दें, प्रेम का विस्तार दें और कल को भूलें
परिवार बचाने की अन्य तीन एप की चर्चा करते हुए पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने चौथे एप फील इम्पोंटेंस का जिक्र करते हुए कहा कि परिवार के प्रत्येक सदस्य को महत्व और सम्मान देना चाहिए और इसमें बिल्कुल भी कंजूसी नहीं होना चाहिए। ऐसा नहीं कि सिर्फ उनकी शिकायत करते रहेंं। पांचवे एप फॉरवर्ड लव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अपने प्रेम को परिवार के किसी एक सदस्य तक सीमित न रखो बल्कि उसे फैलाओ और परिवार का कोई भी सदस्य आपके प्रेम से महरूम न रहे, न किसी को कम न किसी को ज्यादा और अंतिम छठे एप की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि फोरगिव यस्र्टडे अर्थात कल क्या हुआ उसे भूल जाओ। परिवार के सदस्य की भूतकाल में की गई गलतियों को दोहराकर उसे जलील और अपमानित मत करो।

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