अब महिलाओं को सिर पर गगरी रखकर नहीं भरना पड़ेगा पानी, पहुंचेगा घर-घर : राज्यमंत्री श्री राठखेड़ाखरवाया में 1 करोड़ 2 लाख लागत की नलजल योजना का राज्यमंत्री श्री राठखेड़ा ने किया भूमिपूजन । - The Sanskar News

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Saturday, July 24, 2021

अब महिलाओं को सिर पर गगरी रखकर नहीं भरना पड़ेगा पानी, पहुंचेगा घर-घर : राज्यमंत्री श्री राठखेड़ाखरवाया में 1 करोड़ 2 लाख लागत की नलजल योजना का राज्यमंत्री श्री राठखेड़ा ने किया भूमिपूजन ।

 द संस्कार न्यूज़ 25/07/2021
न्यूज़ बाय दीपक शाक्य पोहरी ब्यूरो चीफ

शिवपुरी -  पोहरी विधानसभा के ग्राम खरवाया में पेयजल समस्या से निजात दिलाने के उद्देश्य से पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री श्री सुरेश धाकड़ राठखेड़ा द्वारा 1 करोड़ 2 लाख 40 हजार रुपए की लागत वाली नलजल योजना का भूमिपूजन पूजा अर्चना कर विधि विधान से किया। 
इस दौरान राज्यमंत्री श्री राठखेड़ा ने कहा कि हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि गांव में नल लगेंगे, लेकिन जब मैं चुनाव लड़ा तब मैंने मंच पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बताया कि हमारी महिलाएं आज भी सिर पर गगरी लेकर पानी भरती हैं, जमाना कितना आगे निकल गया, लेकिन हमारा सिर पर गगरी रखना बंद नहीं हो पाया। उन्होंने तत्काल पानी की समस्या को संज्ञान में लिया परिणामस्वरूप आज खरवाया गांव के लिए 1 करोड़ 2 लाख 40 हजार रुपए की सौगात आपके सामने है। उन्होंने बताया कि ग्राम छर्च को पॉवर हाउस मिलने से लाइट की समस्या हमेशा के लिए दूर हो गई। 
कार्यक्रम में उपयंत्री एल एन कोली, शैलेन्द्र आदिवासी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, मंडल अध्यक्ष आशुतोष जैमनी, जिला मंत्री पृथ्वीराज जादौन, लल्ला भार्गव, गिरीश भार्गव, जगदीश कनाखेडी, जगदीश गोबर पूर्व मंडी अध्यक्ष, केशव धाकड, ब्रजमोहन उपसिल, प्रकाश धाकड, अमरसिंह लोखरी, हरिशंकर धाकड आदि मौजूद रहे।

छर्च स्कूल प्रांगण में किया पौधारोपण
छर्च स्कूल प्रांगण में राज्यमंत्री श्री सुरेश धाकड़ राठखेड़ा द्वारा अंकुर अभियान के तहत फलदार व छायादार पौधों का रोपण किया। उन्होंने कहा कि शुद्ध हवा के लिए पेड़- पौधे बहुत जरुरी हैं। पौधे लगाकर ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से भी निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा आज प्रदेश सरकार पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम कर रही है और इसी दिशा में अधिक से अधिक पौधे लगाए जा रहे हैं। पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए हमें भी इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। पौधों की कम होती सख्या को पौधरोपण से ही पूरा किया जा सकता है।

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