,,भाजपा और कांग्रेस के संग्राम के मध्य जनता बेबस,
मध्यप्रदेश, शिवपुरी । (दैनिक अयोध्या टाइम्स) मध्य प्रदेश के 18 जिलों में चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई है । जहां की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं ।
मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव का मुख्य मुद्दा अब भाजपा और कांग्रेस के बीच गरीबी -अमीरी की लड़ाई बनती जा रही है ।
उपचुनाव के बीच से जनता के असली मुद्दे ही गुम हो गए हैं, जनता खुद को ठगा सा महसूस करने लगी है । भाजपा कांग्रेस के अमीरी गरीबी के बयान वाले मुद्दे पर उसे घेरने की नाकाम कोशिश कर रही है ।
वहीं कांग्रेसी अब भाजपा नेताओं की संपत्ति उजागर करने की जुगत में लग गई है ।
मैं भूखा- नंगा ही सही पर गरीबों की आवाज हूं शिवराज सिंह चौहान बोले।
डंपर, व्यापम, ई ,टेंडर घोटालों से मेरा संबंध नहीं कमल नाथ
मुरैना जिले के सुमावली विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बागचीनी में बुधवार को जनसभा को संबोधित करते हुए । पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने डंपर ,व्यापम और ई ,टेंडर घोटालों का जिक्र करते हुए । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की । आगे ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह को लेकर कहा, गद्दार किसे कहते हैं । यह तो सरकार गिराने वाले आत्म चिंतन करें । सिंधिया को घेरते हुए कहा कि टाइगर से काले कौवा पर आ गए हैं ।
भोपाल । बुधवार को राजधानी स्थित सिटी हाल में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ पर चुटकी लेते हुए कहा ।उद्योगपति कमलनाथ को उनकी अमीरी मुबारक हो , हम तो गरीब हैं, और गरीबों का दर्द समझते हैं, मैं काम करता हूं । तो नारियल फोड़ता हूं । भूखा - नंगा ही सही लेकिन मैं गरीबों की आवाज हूं ।
* युवाओं का भविष्य और क्षेत्र के विकास के मुद्दों को राजनीतिक पार्टियां भूली *
हालांकि दो दशक पूर्व से राजनीतिक दल विकास के मुद्दों तथा युवाओं के भविष्य को लेकर रोजगार तथा क्षेत्रीय मुद्दों को भूल चुके है । मध्य प्रदेश के जिन 18 जिलों में उपचुनाव विधानसभा की तैयारी में चुनाव आयोग प्रण - पण से जुट गया है ।
सारी औपचारिकताएं लगभग पूरी कर ली गई है ।
वही राजनीतिक दल के प्रत्याशियों के साथ साथ सभी राजनीतिक दलों के कद्दावर नेता स्थानीय क्षेत्रीय विकास तथा युवाओं को रोजगार जैसे ज्वलनशील मुद्दों को पूरी तरह भूल गया है । चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को आकर्षित करने में सभी दल वर्तमान समय में पीछे पढ़ते नजर आ रहे हैं । करैरा ,पोहरी ,डबरा ,सुमावली, लश्कर पूर्व ,कैलारस, भांडेर, मुंगावली, सुर्खी ,बड़ा मल्हारा, आदि विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश पढ़े-लिखे युवा मतदाता तथा क्षेत्रीय किसान राजनीतिक दलों के भ्रमित और लोक लुभावने वायदे बाले जैसे प्रचारित प्रचार से दूर नजर दिखाई पढ़ रही है । यहां के कई शिक्षित बेरोजगार पोस्ट ग्रेजुएट युवा राजनीतिक दलों से प्रश्न पूछते हैं । क्या ? आवश्यकता थी सरकार को पटकने की बदलने की । यदि सरकार बदल गई तो क्या ? जो कार्य पूर्व की सरकार नहीं कर सकी । वर्तमान सरकार ने किया । आप जानते हैं कि चुनाव में कितना खर्च होता है , और यह खर्च किसके हिस्से में आता है । अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए बार बार चुनाव करना प्रदेश के विकास को क्या गति दे पाएगा ।
गरीब, मध्यमवर्ग ,सामान्य वर्ग का छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहा , इसका कारण क्या .? ..... सरकार जानती है । अधिकांश प्राइवेट अशासकीय एवं शासकीय विश्वविद्यालय, इंटर कॉलेज, हाई स्कूल, माध्यमिक शालाओं का संचालन कौन कर रहा है । बड़े-बड़े राजनीतिक दलों के मठाधीश या आईएएस या फिर बड़े उद्योगपति । इसी कारण से मध्य प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थाओं की फीस अधिक हो गई है । और माध्यम सामान पिछड़ा वर्ग के अधिकांश छात्र छात्राएं उच्च शिक्षा प्राप्त करने में अपने आप को असमर्थ समझते हैं । छात्र-छात्राएं पढ़ लिख कर रोजगार के लिए वर्षों से प्रयासरत हैं , लेकिन कोई रोजगार उपलब्ध नहीं हो रहा । इसका कारण भी वह सरकार के सिर पर फोड़ते हैं ।
दूसरी ओर क्षेत्रीय तमाम विकास ज्वलनशील मुद्दे आज सरकार की अनदेखी के कारण फाइलों में अ-टके पड़े हैं ।
करैरा विधानसभा के प्रमुख मुद्दे
किसानों की धान ,मूंगफली फसल का लागत के आधार पर पर्याप्त मूल्य दिलाएं जाने के उपाय
करैरा ,सीहोर मार्ग कई वर्षों से गड्ढों में तब्दील
का शीघ्र निर्माण
करैरा अभ्यारण सोन चिड़िया क्षेत्र के बाशिंदे अपनी पैतृक संपत्ति क्राय विक्रय नहीं कर पा रहे ।
* कोई रोजगार केंद्र के रूप में फैक्ट्री आदि की स्थापना ।
करैरा को जिला बनवाने के लिए राजनीतिक दलों की इच्छा शक्ति । लोगों की आवागमन की परेशानी कम हो गी तथा करैरा एवं नरवर क्षेत्र का विकास संभव हो सकेगा ।
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