👉शिवपुरी में संवेदनशील पुलिसिंग का अनूठा मामला
👉परिवार परामर्श केंद्र ने मध्यस्थता कर सुलझाया विवाद
👉एचआईवी ग्रसित पति की मौत के बाद दरबदर हो गई थी महिला
शिवपुरी ब्यूरो
शिवपुरी संवेदनशील पुलिसिंग का अनूठा मामला सामने आया है जिसमें पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल के मार्गदर्शन में महिला अपराध प्रकोष्ठ और परिवार परामर्श केंद्र द्वारा की गई काउंसलिंग से एक बेवा को ₹600000 की राशि तो मिली ही साथ ही साथ उसके और ससुराली जनों के बीच चल रहा आपसी विवाद भी सामंजस्य के साथ निराकृत हो गया। यह महिला एचआईवी पीड़ित की पत्नी हो कर दो बच्चों की मां है जिसके पति की मौत एचआईवी संक्रमण के कारण पूर्व में ही हो चुकी है।
यह कहानी कुछ इस प्रकार है महिला ने अपने शिकायती आवेदन में पुलिस अधीक्षक को उल्लेख किया कि उसके पति की एचआईवी संक्रमण के कारण मृत्यु हो चुकी है उसके बाद से उसके ससुराली जन उसे और उसके दोनों नाबालिग बच्चों को न केवल मारपीट कर प्रताड़ित कर रहे हैं बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी प्रताड़ना दी जाकर घर से बाहर किया जा रहा है। महिला ने यह आवेदन पूर्व में फिजिकल पुलिस थाने में 17 मई एवं 31 मई को दीया जिस पर से अदम चेक की कायमी की गई। मगर इनका पारिवारिक विवाद और बढ़ता चला गया जब यह कहानी पुलिस अधीक्षक श्री राजेश सिंह चंदेल के संज्ञान में आई तो उन्होंने इस प्रकरण को एडी एस पी गजेंद्र खबर को निराकरण हेतु सौंपा और उन्होने महिला अपराध प्रकोष्ठ शिवपुरी को सोपते हुए इसका मानवीय दृष्टिकोण के साथ निराकरण के निर्देश महिला अपराध प्रकोष्ठ प्रभारी को दिए। स्थिति यह थी कि महिला अपने दो नाबालिग बच्चों के साथ ससुराल रहना चाहती थी लेकिन ससुराली जन उसे किसी भी कीमत पर रखने को तैयार नहीं थे। *महिला सेल और परिवार परामर्श केंद्र ने निभाई समझौते में भूमिका*
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए दोनों पक्षों को परिवार परामर्श केंद्र में तलब किया गया 3 जून को परिवार परामर्श समिति की बैठक में यह मामला आया जिसमें दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखें और महिला प्रकोष्ठ एवं परिवार परामर्श केंद्र के जिला संयोजक आलोक एम इंदौरिया एवं परामर्श दाताओं ने दोनों पक्षों से बीच का हल निकालने पर जोर दिया जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। एचआईवी पीड़ित की बेवा के ससुर की संपत्ति का आकलन किया गया जो लगभग ₹3000000 आंकी गई और उसके 6 वारिसभी बताए गए। इन परिस्थितियों में जबकि ससुराली जन उसे रखने को तैयार नहीं थे तब तय हुआ कि मृतक के हिस्से की ₹600000 की राशि उसकी बेवा को दिलाई जाए और जब तक यह राशि उसे नहीं मिल जाती तब तक उसे ससुराल में ही शांतिपूर्ण ढंग से बच्चों के साथ रहने दिया जाए। महिला अपराध प्रकोष्ठ प्रभारी तथा परिवार परामर्श केंद्र के परामर्शदाता ने दोनों पक्षों को 3 माह के भीतर समझौता अनुसार रकम के लेनदेन पर राजी कर लिया। गत माह दोनों पक्षों के बीच राजीनामा हुआ और ₹200000 का चेक महिला एवम उसके दोनों नाबालिक पुत्रों के नाम से ₹200000 की एफडीआर के माध्यम से कुल ₹600000 की राशि इस पीड़िता को दिलाई गई। दौरान दोनों पक्षों द्वारा आपस में कोई शिकवा शिकायत नहीं करने संबंधी कुल 12 बिंदुओं पर एक नोटरी शुदा समझौता पत्र भी संपादित किया गया। *पुलिस अधीक्षक ने की केस की मॉनिटरिंग* इस प्रकरण की खास बात यह रही कि पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल भी समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग करते रहे और उन्हीं के निर्देश पर परिवार परामर्श समिति के संयोजक आलोक एम इंदौरिया,सदस्यगण श्रीमती गीता दीवान, समीर गांधी , संतोष शिवहरे, श्रीमती उमा मिश्रा ,डा. खुशी खान,पुष्पा खरे, व महिला अपराध प्रकोष्ठ प्रभारी उपनिरीक्षक दीप्ति तोमर तथा आरक्षक विपिन शर्मा ने इस विवाद के निपटान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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