संस्कार न्यूज़ के मुताबिक, शिवपुरी के कोलारस इलाके के दर्जनों गांवों में बिना परमीशन की शराब बनाने और बेचने का अवैध धंधा कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है।
मध्यप्रदेश, पूरे प्रदेश में शराब को बंद करना सरकार के लिए इतना आसान नहीं होगा। दरअसल, शहरी इलाकों को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में शराब का कारोबार कुटीर उद्योग के रूप में फल-फूल रहा है। यहां के लोग आर्थिक रुप से पर्यटकों और शराब के कारोबार पर निर्भर है। आलम ये है कि यहां हर घर में चूल्हे पर शराब बनती हुई दिखाई पड़ जाती है।
ग्रामीण इलाके के दर्जनों गांवों में कच्ची शराब बनाने , बिना ठेका और बेचने का अवैध धंधा कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है। यहां स्थित गांव की परचूनी दुकान में शराब बिकने लगी है । गांव के अधिकांश लोग हथकढ़ (कच्ची) शराब को बेचकर औरों के परिवारों की जिंदगी तबाही पर लगें हुए हैं
मध्यप्रदेश, पूरे प्रदेश में शराब को बंद करना सरकार के लिए इतना आसान नहीं होगा। दरअसल, शहरी इलाकों को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में शराब का कारोबार कुटीर उद्योग के रूप में फल-फूल रहा है। यहां के लोग आर्थिक रुप से पर्यटकों और शराब के कारोबार पर निर्भर है। आलम ये है कि यहां हर घर में चूल्हे पर शराब बनती हुई दिखाई पड़ जाती है।
हालांकि, शहरी क्षेत्रों में अवैध शराब के कारोबार पर रोक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। कोलारस क्षेत्र। के ग्रामीण , सुआटोर सहराना ,कुदोनिय आदि गांवों में जिस चूल्हे पर खाना बनता है उसी पर शराब भी तैयार होती है और फिर पन्नीयो में भरकर, कुछ गांव में तो देशी, अंग्रेजी बिना ठेका की शराब को सप्लाई की जाती है सरकार बेफिक्र है कोई अबैध तरीके से शराब बेचने वालों पर कोई एक्शन नहीं।
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