आसान नहीं बीजेपी की राहें, मंत्री पद के लिए 78 हैं दावेदार, खुश नहीं हुए तो दे सकते हैं झटका!
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में शह-मात के खेल में बीजेपी ने बाजी मार ली है। बीजेपी की चाल में फंसकर कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। अब बीजेपी सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। 23 मार्च को विधायक दल की बैठक हो सकती है, उसके बाद सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। लेकिन बीजेपी की आगे की राहें इतनी आसान नहीं हैं।
कांग्रेस में टूट की सबसे बड़ी वजह असंतोष बनी है। साथ ही पद की चाहत। ऐसे में बीजेपी में भी ऐसी स्थिति आने वाले दिनों में उत्पन्न हो सकती है। क्योंकि बीजेपी में मंत्री पद के 78 दावेदार हैं। ये वे विधायक हैं जो दो या दो से ज्यादा बार चुने गए हैं। साथ ही कई पूर्व मंत्री भी हैं। चर्चाओं के अनुसार सरकार में भाजपा के 24 लोग मंत्री बन सकते हैं। बाकी के 10 लोग ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के होंगे। ऐसे में बीजेपी के सामने भी सबको संतुष्ट करने की चुनौती होगी।
कांग्रेस जैसी बन सकती है स्थिति:-
सरकार गठन के बाद ज्यादा की चाहत रखने वाले विधायक अगर संतुष्ट नहीं हुए तो बीजेपी में भी कांग्रेस जैसी स्थिति बन सकती है। ऐसे हालातों पर अभी से चर्चा शुरू हो गई है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक में सरकार के ढांचे को लेकर बैठकों का दौर जारी है। सरकार का आकार कैसे होगा और किन-किन लोगों को जगह मिलेगी, उस पर चर्चा जारी है। नए सीएम को क्षेत्रीय और जातिगत संतुललन के साथ राजनीतिक संतुलना भी बनाना होगा।
ये हैं प्रमुख दावेदार:-
नरोत्तम मिश्रा: सियासी चक्रव्यूह के रणनीतिकारों में शामिल रहे हैं। डिप्टी सीएम बनाए जाने की है चर्चा। पूर्ववर्ती सरकारों में मंत्री रहे हैं।
गोपाल भार्गव: अभी नेता प्रतिपक्ष हैं। पिछली सरकार में मंत्री थे।
भूपेंद्र सिंह: इस ऑपरेशन के अहम किरदारों में शामिल। पिछली सरकार में गृह मंत्री थे।
राजेंद्र शुक्ला: विंध्य की राजनीति का बड़ा चेहरा। पिछली सरकार में उद्योग और खनिज मंत्री रहे हैं।
गौरीशंकर बिसेन: महाकौशल क्षेत्र में बालाघाट के बड़े नेता। पिछली सरकार में मंत्री रहे हैं।
विजय शाह: भाजपा का आदिवासी चेहरा। पिछली सरकार में कई बड़े विभाग संभाल चुके हैं।
रामपाल सिंह: शिवराज के करीबी। पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे हैं।
सीतासरन शर्मा: पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष थे।
यशोधरा राजे सिंधिया: ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद इनकी अहमियत और बढ़ेगी। मंत्री रही हैं।
संजय पाठक: पिछली सरकार में राज्य मंत्री थे।
मंदसौर से यशपाल सिंह सिसौदिया, सोहागपुर से विजयपाल सिंह, पन्ना से ब्रजेंद्र प्रताप सिंह, ग्वालियर-चंबल से गोपीलाल जाटव और ओमप्रकाश सकलेचा और राजेंद्र पांडे भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं।
विंध्य से केदारनाथ शुक्ला या गिरिश गौतम मंत्री बन सकते हैं।
महिलाओं में नीना वर्मा, मालिनी गौड़ और ऊषा ठाकुर में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है।
रमेश मेंदोला या महेंद्र हार्डिया: मालवा से मंत्री पद के दावेदार हैं। हार्डिया मंत्री रह चुके हैं।
विश्वास सारंग: पिछली सरकार में सहकारिता जैसा अहम विभाग था।
अजय विश्नोई: चिकित्सा शिक्षा मंत्री रह चुके हैं।
कमल पटेल: पिछली भाजपा सरकार में राजस्व मंत्री रह चुके हैं।
पारस जैन: ये पिछली सरकार में उर्जा मंत्री थे।
अरविंद भदौरिया: सिंधिया सर्मथक 22 विधायकों के साथ वे लगातार बेंगलुरू में रुके रहे।
प्रदीप लारिया: दलित चेहरा।
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