शिवपुरी। महिलाओं व बालिकाओं को कभी भी खुद में सिमटकर नहीं रहना चाहिए,बल्कि उन्हें घर से बाहर निकलकर हर क्षेत्र में आगे बढऩा चाहिए। जब भी वे घर से बाहर निकले तो पीछे कौन, क्या कह रहा है, इस पर ध्यान न देते हुए हमेशा आगे देखें। बेटियों को पढऩा चाहिए और यदि वे ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाती हैं तो इमरती देवी बन जाएं। जब भी बेटियां घर से बाहर पढऩे जाती है तो वे पूरी लगन से पढ़ाई करती हैं, जबकि बेटे घर से बाहर पढऩे जाते हैं तो वे दोस्तों के साथ बीयर पीना सीख जाते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई धरी रह जाती है।हर माता-पिता व परिजनों को अपनी बेटियों पर भरोसा करना चाहिए। यह बात महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने सोमवार को मानस भवन में आयोजित महिला बाल विकास विभाग के बिटिया सम्मान समारोह में कही। मंत्री ने रोशनी नामक प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया, साथ ही रोशनी की नई राहें, पुस्तिका का भी विमोचन किया। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने वाली बालिकाओं व महिलाओं को सम्मानित किया।
चुनाव जीतने के बाद महिलाओं को घर में बैठाना ठीक नहीं
मंत्री इमरती देवी ने कहा,महिलाओं को राजनीति से लेकर सभी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया है, लेकिन अक्सर यह होता है कि आरक्षण में महिला सीट होने पर पति, देवर या ससुर महिला को फार्म भरवाने के लिए ही घर से बाहर ले जाते हैं और फिर उसके जीतने के बाद उसे घर के अंदर ही बिठा देते हैं,जो पूरी तरह से गलत है। महिलाओं को इसका विरोध करके घर से बाहर आकर वह काम करना चाहिए, जिसके लिए वे चुनी गई हैं।
मंत्री इमरती देवी ने कहा,महिलाओं को राजनीति से लेकर सभी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया है, लेकिन अक्सर यह होता है कि आरक्षण में महिला सीट होने पर पति, देवर या ससुर महिला को फार्म भरवाने के लिए ही घर से बाहर ले जाते हैं और फिर उसके जीतने के बाद उसे घर के अंदर ही बिठा देते हैं,जो पूरी तरह से गलत है। महिलाओं को इसका विरोध करके घर से बाहर आकर वह काम करना चाहिए, जिसके लिए वे चुनी गई हैं।
जब महिलाओं को घर में आगे बढ़ते हुए बेटियां देखेंगी तो वे भी इन बंधनों को तोड़ेंगी। मंत्री ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि हम जिस गांव में रहते थे, वहां 15 साल तक कोई स्कूल ही नहीं था, लेकिन हमने शादी के बाद पढ़ाई की। कार्यक्रम के अंत में बेटियों के सम्मान का संकल्प भी दिलाया गया।
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