17 December 2019
सिंधिया के नाम पर सहमति न बन पाने के कारण नहीं हो पा रहा है कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव
संस्कार न्यूज़, पवन भार्गव ( प्रधान संपादक )
शिवपुरी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रदेश मेें पराजय के पश्चात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपना इस्तीफा दे दिया था। लेकिन 6 महीने के बाद भी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद का नाम तय नहीं कर पाई। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने नबंवर माह में कहा था कि इस महीने के अंत तक प्रदेशाध्यक्ष का नाम तय हो जाएगा। लेकिन अब दिसंबर माह आधे से अधिक बीत चुका है। लेकिन प्रदेशाध्यक्ष का नाम घोषित नहीं हो पाया है।
सूत्रों के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए सिंधिया के नाम पर सहमति नहीं बन रही है। हालांकि कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि सिंधिया को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाए। लेकिन समानांतर सत्ता केन्द्र बनने की आशंका के कारण मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गिवजय सिंह सिंधिया के नाम पर सहमत नहीं हैं। इस गुट द्वारा सिंधिया के बयानों को लेकर भी आपत्ति खड़ी की जाती है। प्रदेश सरकार के खिलाफ सिंधिया कई बार बयान दे चुके हैं और एक-दो मौकों पर वह पार्टी लाईन से हटकर उनके बयान सामने आ चुके हैं। विधानसभा चुनाव में प्रदश्ेा में कांग्रेस को सत्ता में मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व के कारण मिली थी। इस कारण यह संभावना व्यक्त की जा रही थी कि एक को सत्ता को प्रमुख और दूसरे को संगठन का प्रमुख बनाया जाएगा। विधानसभा चुनाव के पहले कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप दी गई थी और सत्ता में आने के बाद जब वह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सहयोग से मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे तब यह आशा थी कि सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाएगा। राजनीति में टाईमिंग का बहुत महत्व रहता है। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के समय सिंधिया चाहते तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते थे। लेकिन मुख्यमंत्री न बन पाने के कारण सिंधिया को ऐसा झटका लगा कि उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दबाव बनाना उचित नहीं समझा। बस यहीं सिंधिया और उनके समर्थकों की चूक रही। हालांकि बाद में सिंधिया समर्थकों ने अपने नेता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए खूब दबाव डाला। इसके पश्चात सिंधिया भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए मानसिक रूप से सहमत हो गए। परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सिंधिया की ताजपोशी रोकने के लिए प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए कई नाम सामने आए। जिनमें मुख्य रूप से गृह मंत्री बाला बच्चन, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, सज्जन वर्मा, मीनाक्षी नटराजन, शोभा ओझा, अरूण यादव के नाम प्रमुख थे। अजय सिंह के निवास स्थान पर कांग्रेस विधायकों की बैठक भी आयोजित हुई। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी शामिल हुए। सिंधिया की ताजपोशी रोकने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह एक मंच पर आए। इसी बीच धारा 370 को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी लाईन से हटकर बयान दिया और कश्मीर में से धारा 370 हटाने का समर्थन किया। इससे भी पार्टी में उनके विरोधियों के हौंसले बुलंद हुए। प्रदेश सरकार की कथित नीतियों के खिलाफ भी सिंधिया लगातार मुखर रहे, चाहे वह किसान कर्ज माफी का मामला हो या ट्रांसफर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का। इससे पार्टी के भीतर से सिंधिया का विरोध और गहरा होता गया। अब कहा जा रहा है कि नए साल में ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की घोषणा होगी। प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए दो बार मुख्यमंत्री कमलनाथ की सोनिया गांधी से चर्चा हो चुकी है। लेकिन इस चर्चा का अभी तक कोई सार्थक परिणाम निकलकर नहीं आया है।
क्या सिंधिया को राज्यसभा में भेजा जाएगा !
सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के सत्ताधारी नेता चाहते हैं कि सिंधिया प्रदेश की जिम्मेदारी से मुक्त होकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका निर्धारित करें। इसलिए सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का विरोध किया जा रहा है। लेकिन सिंधिया को प्रदेश राजनीति से दूर करने का एक और उपाय है वह हैं मार्च माह में होने वाले राज्यसभा चुनाव में उन्हें पार्टी का टिकट देकर उच्च सदन में भेज दिया जाए। मार्च में होने वाले चुनाव में प्रदेश में तीन सीटें खाली हो रही हैं और वर्तमान में कांग्रेस विधायकों की जो संख्या हैं, उस हिसाब से कांग्रेस दो सीटें जीत सकती हैं। देखना यह है कि क्या सिंधिया को मार्च में राज्यसभा के लिए नोमिनेट किया जाएगा अथवा नहीं।
No comments:
Post a Comment