जिस नाबालिग दोषी ने निर्भया पर सबसे ज्यादा किए थे जुल्म, अब ऐसी है जिंदगी जी रहा है वो 18 दिसंबर को हो सकती है फांसी की सजा - The Sanskar News

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Sunday, December 15, 2019

जिस नाबालिग दोषी ने निर्भया पर सबसे ज्यादा किए थे जुल्म, अब ऐसी है जिंदगी जी रहा है वो 18 दिसंबर को हो सकती है फांसी की सजा


हैदराबाद में वेटनरी डॉक्टर से रेप और मर्डर करने वाले सभी आरोपियों को दो हफ्ते बीतने से पहली ही पुलिस ने एनकाउंटर में मौत दे दी. अब निर्भया के 4 दोषियों (accused) की फांसी की तारीख भी 18 दिसंबर को तय हो सकती है. मौत की सजा (death sentence) पाने जा रहे इन दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के अलावा मामले में 2 और दोषी भी थे. इनमें से एक गुनहगार राम सिंह ने जेल में ही कथित तौर पर खुदकुशी कर ली. इसके अलावा एक और दोषी भी था. वारदात के वक्त नाबालिग (juvenile) होने के कारण उसे जुवेनाइल कोर्ट से 3 साल की ही कैद हुई और अब वो आजाद है.
यही अकेला दोषी है, जिसका चेहरा और यहां तक कि नाम भी दुनिया नहीं जानती है. जानें, कहां है निर्भया का नाबालिग (juvenile accused of nirbhaya) गुनहगार और कैसे बिता रहा है जिंदगी.
क्या है निर्भया का मामला:-
आज से ठीक एक रोज बाद यानी 16 दिसंबर 2012 को एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ घटा हादसा देश के राजधानी के लिए बदनुमा दाग बन गया. 16 दिसंबर की रात निर्भया अपने एक दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही थी. रास्ते में दोनों ने मुनीरका से एक बस ली. इस बस में उनके अलावा 6 लोग है. जल्द ही उन लोगों ने निर्भया से छेड़खानी शुरू कर दी, जो रेप में बदल गई.
इस बीच निर्भया के दोस्त को दोषियों ने पीटकर बेहोश कर दिया था. बर्बर गैंग रेप के बाद उन लोगों ने खून से लथपथ निर्भया और उसके दोस्त को वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया. आंतों और पूरे शरीर में गंभीर इंफेक्शन के बाद एयरलिफ्ट कर निर्भया को सिंगापुर के अस्पताल ले जाया गया, जहां 29 दिसंबर की देर रात उसने दम तोड़ दिया.
नाबालिग ने ऐसे की दरिंदगी:-
इस बीच वारदात में शामिल छहों आरोपी गिरफ्त में आ चुके थे, जिनमें से एक ड्राइवर राम सिंह ने जेल में ही खुदकुशी कर ली. वहीं नाबालिग आरोपी को जुवेलाइल जस्टिस के तहत सजा हुई. बाल सुधार गृह में 3 साल बिताने के बाद 20 दिसंबर 2015 को उसे रिहाई मिल गई. छहों दोषियों के बयान के बाद ये माना जाता रहा है कि इसी नाबालिग ने निर्भया और उसके दोस्त को आवाज देकर अपनी बस में बुलाया था, जबकि वो एक स्कूल बस थी, न कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट. निर्भया के बैठने के बाद उसी ने छेड़छाड़ शुरू की और अपने साथियों को रेप के लिए उकसाया. यही वो दोषी था, जिसने निर्भया के शरीर में लोहे की रॉड घुसाई, जिससे फैला इंफेक्शन 26 साल की छात्रा की मौत की वजह बना.
दोषी का लेखा-जोखा:-
जानकारी के अनुसार दोषी उत्तप्रदेश का रहने वाला है, जो 11 साल की उम्र में घर की तंग हालत की वजह से भाग निकला और दिल्ली आ गया. यहां फुटपाथों पर दिन गुजारने के दौरान उसकी मुलाकात बस ड्राइवर राम सिंह से हुई. तब से वो राम सिंह के लिए क्लीनर का काम करने लगा. हालांकि राम सिंह से उसे कुछ खास पैसे नहीं मिलते थे और लगभग 8000 रुपए बकाया भी थे.
16 दिसंबर की रात उन्हीं पैसे के लिए वो राम सिंह के पास पहुंचा और वहीं से घटना की शुरुआत हुई. वारदात के वक्त उसकी उम्र 17 साल 6 महीने थी. यानी वयस्क होने में सिर्फ 6 महीने कम.
कुक का काम करता है:-
इस दोषी के खिलाफ पूरे देश में इतना गुस्सा था कि सुरक्षा गृह में भी उसे गहन सुरक्षा में अलग रखा गया. हालांकि उस दौरान एक एनजीओ ने उसकी मानसिक सेहत ठीक रखने के लिए उसे कमरे में ही टीवी मुहैया करवाई. नाबालिक ने कड़ी निगरानी में रहते हुए सिलाई का काम सीखा. बाद में उसने खाना पकाने में अपनी रुचि दिखाई, जिससे उसे कुकिंग का काम भी सिखाया गया.
आफ्टर केयर से रिहाई के बाद उसे उसके घरवालों की इजाजत के बाद दक्षिण भारत के एक अनाम जिले में रखा गया है. माना जाता है कि अब भी लोगों में उसके लिए काफी गुस्सा है, इसलिए उसे सुरक्षित रखने के लिए उसका नाम तक बदल दिया गया है. बदले हुए नाम के साथ वो रेस्टॉरेंट में काम करता है. समय-समय पर उसके काम की जगह बदल दी जाती है ताकि किसी पर भी उसकी असल पहचान जाहिर न हो सके.
इसी मामले के बाद कानून में हुए बदलाव:-
निर्भया मामले के बाद देश में बलात्कार की परिभाषा में काफी बदलाव हुए. इससे पहले सेक्सुएल पेनिट्रेशन को रेप माना जाता था, लेकिन इस घटना के बाद छेड़छाड़ और दूसरे तरीकों से यौन शोषण को भी बलात्कार में शामिल किया गया.
पार्लियामेंट में नया जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ, जिसमें बलात्कार, हत्या और एसिड अटैक जैसे क्रूरतम अपराधों में 16 से 18 साल के नाबालिग आरोपियों पर भी वयस्क कानून के तहत आम अदालतों में केस चलता है. नए कानून के तहत 16 से 18 साल के नाबालिग को इन अपराधों के लिए बाल संरक्षण गृह में रखा जाने की बजाए सजा हो सकती है, हालांकि ये सजा अधिकतम 10 साल की ही हो सकती है और फांसी या उम्रकैद नहीं दिया जा सकेगा.

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