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Wednesday, April 28, 2021

भारत का एक ऐसा गांव जहां आते हैं देश-विदेश से लोग घूमने ऐसा इस गांव में है क्या आइए जानते हैं कैसे बना इतना विकसित गांव

29 अप्रैल 2021 

पवन भार्गव

अगर हम आपको भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बताएं जो न केवल अपने लोगों के लिए बिजली का उत्‍पादन तो कर ही रहा है, साथ ही साथ सरकार को बिजली बेच भी रहा है. यह गांव भारत का एक आदर्श गांव बन गया है और पिछले एक दशक से इसने अपनी स्थिति कायम रखी है. आइए आपको आज इसी गांव के बारे में बताते हैं और यह भी बताते हैं कि कैसे यह गांव आगे बढ़ रहा है.

बिजली का रिकॉर्ड उत्‍पादन

यह गांव है तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के मेट्टूपलायम तालुक में आने वाला गांव ओडानथुराई. गांव की पंचायत की वजह से यहां पर पिछले एक दशक से ज्‍यादा समय से बिजली का उत्‍पादन हो रहा है.

साथ ही साथ पंचायत की तरफ से तमिलनाडु इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (TNEB) को भी बिजली बेच रहा है. ओडानथुराई के पास अपनी खुद की एक विंड मिल है जो 350 किलोवॉट की क्षमता से बिजली का उत्‍पादन करती है.

साल 2005 में इसे उडुमलाई के करीब 1.55 करोड़ रुपए की लागत से सेट अप किया गया था. दिलचस्‍प बात है कि अब तक यह गांव करीब 2 लाख यूनिट बिजली बेच चुका है जबकि राज्‍य में उत्‍पादन 6.75 लाख यूनिट का है. एक वर्ष में बिजली बेचकर गांव के हिस्‍से हर साल करीब 20 लाख रुपए आ रहे हैं. इस समय यहां पर करीब 4.75 लाख यूनिट्स हैं.

कैसे पंचायत की वजह से गांव को मिली बिजली

विंड मिल के लिए पंचायत ने अपनी बचत में से 40 लाख रुपए दिए थे. बाकी बचे हुए पैसों के लिए पंचायत ने 1.15 करोड़ का लोन लिया था. ये लोन साल 2005 में एक राष्‍ट्रीय बैंक से लिया गया था. पंचायत की तरफ से इस कर्ज की अदायगी स्‍टेट बोर्ड को बिजली बेचने से मिले पैसों से की गई. पिछले वर्ष पंचायत की तरफ से लोन की पूरी रकम चुका दी गई है. पंचायत के विकास के लिए आर शनमुगम को श्रेय दिया जाता है. वह पंचायत के पूर्व अध्‍यक्ष रह चुके हैं. उन्‍होंने बताया कि लोन पर कैपिटल और ब्‍याज के बाद इसकी रकम करीब 1.84 करोड़ रुपए पहुंच गई थी.इस गांव को बिजली बचाने की वजह से अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय तक में सराहा गया है.

गांव के 850 लोगों के पास अपना घर

पंचायत ने सिर्फ बिजली उत्‍पादन का काम नहीं किया. राज्‍य सरकार की ग्रीन हाउस स्‍कीम के तहत यहां पर अब तक 850 घरों का निर्माण भी कराया जा चुका है. ये घर उनके मालिकों को भी सौंपे जा चुके हैं. यह आंकड़ा राज्‍य में सबसे ज्यादा है. शनमुगम एक निर्दलीय उम्‍मीदवार थे मगर वह बाद में एआईएडीएमके से जुड़ गए थे. साल 1996 से 2006 तक हर बार गांव की जनता ने उन्‍हें चुना था. वह सिर्फ 10वीं पास हैं और इससे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा.

कई प्रोफेसर और आइएएस का इंट्रेस्‍ट

पंचायत की सीट बाद साल 2006 में सिर्फ महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई और इसके बाद उनकी पत्‍नी एस लिंगाम्‍मल ने चुनाव लड़ा. वह साल 2016 तक इस पद पर रहीं. हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि पत्‍नी के जीतने के बाद भी शनमुगम ने गांव के डेवलपमेंट में बड़ी भूमिका अदा की थी. जनवरी 2020 में हुए पंचायत चुनावों में बस 53 वोटों के अंतर से वो हार गए. तमिलनाडु का यह वो गांव है जिसे देखने विदेशों से लोग आते हैं. इसके अलावा कॉलेज के प्रोफेसर और कई आईएएफ ऑफिसर्स भी गांव को देखने आते हैं.

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