हालांकि, अब तक कहा यह जा रहा था कि अपने चरम पर पहुंचने के बाद संक्रमण की दर में गिरावट दर्ज की जा सकती है, लेकिन गणितीय पद्धति के आधार पर काम कर रहे वैज्ञानिकों का यह मानना है कि संभवत: 11 से 15 मई के बीच कोरोना संक्रमितों की संख्या 33 से 35 लाख तक पहुंच सकती है.
इसका मतलब यह हुआ कि आने वाले दो-तीन हफ्तों के दौरान संक्रमण की दर में गिरावट आने के पहले संक्रमितों की संख्या में हल्की सी बढ़ोतरी भी दर्ज की जा सकती है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, यदि कोरोना संक्रमितों की वर्तमान में दिए जा रहे आंकड़े सही हैं, तो मई के मध्य में कोरोना की पहली लहर के दौरान सितंबर महीने की तुलना में कोरोना के कुल सक्रिय मामलों की संख्या 10 लाख से तीन गुना अधिक होगी.
हालांकि, चिकित्सा आपूर्ति और सुविधाओं के संदर्भ में नीति निर्माताओं को उचित प्रतिक्रिया तंत्र को तैयार करना महत्वपूर्ण है. नए आंकड़े तो यही दर्शाते हैं 23 से 30 अप्रैल के बीच दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना में कोरोना के नए केस अपने चरम पर होंगे. वहीं, ओड़िशा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में 1 से 5 मई के बीच जबकि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में 6 से 10 मई के बीच कोरोना के नए मामलों में अप्रत्याशित तरीके से बढ़ोतरी हो सकती है. ताजा आंकड़ों से तो यही अंदाजा लग रहा है कि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पहले ही कोरोना संक्रमण का मामला अपने चरम पर पहुंच सकता है, जबकि बिहार में यह 25 अप्रैल तक अपने चरम पर होगा.
आईआईटी कानुपर के मनिंद्र अग्रवाल ने कहा है कि हमारी पद्धति (रोजाना के आंकड़ों के आधार पर तैयार) के हिसाब से संक्रमण के नए मामले 1 से 5 मई के दौरान संक्रमण के नए मामले रोजाना तकरीबन 3.3 से 3.5 लाख तक आ सकते हैं. यह आगामी 10 दिन बाद यानी 11 से 15 मई तक बढ़कर 33 से 35 लाख तक पहुंच सकते हैं.
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