दा संस्कार न्यूज़ 27 अगस्त 2020
,, पवन भार्गव ,,
भारत और चीन के बीच चल रहा तनाव, कम होने की बजाय गंभीर रूप लेता जा रहा है. चीन की चालबाज़ी और धोखेबाज़ी के साथ ही उसके अड़ियल रुख की वजह से भारत अब किसी बड़े एक्शन की तैयारी में जुट गया है, क्योंकि चीन बातों से तो मान नहीं रहा है. कई दौर की सैन्य स्तर की बातचीत के बाद बनी सहमती के बाद भी चीन अपनी सेनाओं को वापस नहीं ले जा रहा है. ऐसे में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस विपिन रावत ने साफ कर दिया है, कि चीन अगर नहीं मानता है, तो उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की जाएगी और उसे खदेड़ा जाएगा.
अब लगता है, भारत की ओर से चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चीनी हेलीकॉप्टरों की गतिविधियां बढ़ गई है, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने अब वहां ऊंचाई वाले पॉइंट्स पर कंधे पर रखकर हवा में मार करने वाली एयर डिफेंस मिसाइलों के साथ जवानों को तैनात कर दिया है. ये जवान इन मिसाइलों से चीनी हैलिकॉप्टरों को हवा में ही मार गिरा सकते हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई के हवाले से खबर आई है, कि 'रूसी मूल के इग्ला एयर डिफेंस सिस्टम से लैस भारतीय सैनिकों को सीमा पर महत्वपूर्ण ऊंचाई पर तैनात किया गया है. वे दुश्मन देश के हवाई जहाजों के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने पर उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे'.
आपको बता दें, कि रूसी मूल के इन एयर डिफेंस सिस्टम का उपयोग भारतीय थल सेना और वायु सेना दोनों ही करते हैं. इसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब दुश्मन के लड़ाकू जेट या हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा या फिर जवानों की तैनाती वाली जगहों के करीब आते हैं. साथ ही यहां पर भारतीय सेना की ओर से दुश्मन की हवाई आवाजाही पर नजर रखने के लिए रडार और सतह से लेकर हवाई मिसाइल सिस्टम तक की तैनाती कर दी है. जिससे की चीन की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके.
दरअसल पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी और पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के पास भारतीय जवानों ने कई बार चीन के चॉपरों को भारतीय क्षेत्र में आने की कोशिश करते हुए देखा है. जिसके बाद ही सेना ने ये फैसला किया है और कंधों पर रखकर हवा में मार करने वाली एयर डिफेंस मिसाइलों के साथ जवानों को तैनात किया गया है. इससे पहले भारतीय वायु सेना ने भी चीनी हेलीकाप्टरों की संभावित सीमा उल्लंघन को नाकाम करने के लिए मई के पहले हफ्ते में ही अपने सुखोई-30MKI फाइटर जेट्स को तैनात कर दिया था.
भारत की चीन के झिंजियांग और तिब्बत इलाके के होटन, गर गुनसा, काश्गर, होपिंग, डोंकाका डोंगॉन्ग, लिंझी और पंगत हवाई अड्डों पर कड़ी नजर है. ये सभी हवाई अड्डे हाल के दिनों में बहुत ज्यादा सक्रिय हुए हैं और यहां चीन ने अपने जेट्स की तैनाती कर रखी है.
लेकिन इधर चीन को दोहरी मार देने के लिए भारत के साथ ही अमेरिका भी तैयार हो गया है और उसने भी चीन को चकनाचूर करने के लिए कमर कस ली है. अमेरिकी ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में जंगी जहाज युद्धपोत और परमाणु बमवर्षक लड़ाकू विमान तैनात कर दिए हैं. अमेरिका की ओर से दक्षिण चीन सागर में युद्धपोत और हिंद महासागर के डिएगो गार्सिया द्वीप में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम तीन बी-2 स्टील्थ बमवर्षक तैनात किए हैं. तीन रडार वाले ये बमवर्षक दुनिया में सबसे उन्नत किस्म के लड़ाकू विमान माने जाते हैं. अमेरिका का ये नौसैनिक अड्डा भारत से महज 3,000 किलोमीटर दूर है.
दुनिया का सबसे घातक परमाणु बमवर्षक है बी-2
अमेरिका के मिसौरी एयरफोर्स बेस से तीन बी-2 स्प्रिट स्टील्थ बमवर्षक विमान करीब 29 घंटे की यात्रा करके डियागो गार्सिया पहुंचे हैं. बी-2 स्प्रिट स्टील्थ दुनिया का सबसे घातक बमवर्षक है. ये विमान एक साथ 16 बी 61-7 परमाणु बम ले जा सकता है. हाल ही में इसके बेड़े में बेहद घातक और सटीक मार करने वाले बी61-12 परमाणु बम शामिल किए गए हैं. ये दुश्मन के हवाई सुरक्षा तंत्र को चकमा देकर इलाके में घुस जाता है. ये रडार की पकड़ में भी नहीं आता है और चुपके से हमले को अंजाम देने में सक्षम है.
इधर भारत और अमेरिकी की आक्रामक तैयारी देखकर चीन के भी होश उड़े हुए हैं. जिनपिंग को समझ ही नहीं आ रही है, कि वो क्या करे. एक तरफ चीन में भी उनका विरोध बढ़ता जा रहा है और दुनिया के कई देश चीन के खिलाफ हो गए हैं. चीन को भी इल्म हो गया है, कि उसकी अकड़ इस बार भारत और अमेरिकी निकालने जा रहा है. इसलिए जिनपिंग ने चीन की जनता के नाम एक संदेश जारी कर दिया है. चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक़ शी जिनपिंग ने कहा है कि,
मतलब चीन को भी पता है, कि भारत कभी भी हमला कर सकता है और अमेरिकी भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा है इसलिए चीन को दोहरे मोर्चे पर युद्ध करना पड़ेगा और वो उसके लिए काफी नुकसानदेय और घातक होगा.
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