दा संस्कार न्यूज़ 22 अगस्त 2020
दरअसल, ऑर्बिटर ने चांद की सतह की तस्वीरों को जमा किया है। इन तस्वीरों की मदद से भविष्य में होने वाले चंद्रमा मिशन में सफलता हासिल की जा सकती है, क्योंकि तस्वीरों से चांद की सतह की सटीक जानकारी हासिल हुई है। ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई तस्वीर से लैंडिंग की सतह के बारे में पता चलेगा और लैंडिंग में आसानी होगी।
ऑर्बिटर को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुए एक साल पूरा हो गया है। इस दौरान ऑर्बिटर ने चंद्रमा के 4400 चक्कर पूरे किए हैं।
तस्वीरों से इस क्षेत्र में मौजूद चट्टानों की मोटाई, ऊंचाई, एक दूसरे से दूरी, क्रेटर्स (गड्ढे) की गहराई के साथ-साथ सतह के समतल, ढलान और उठान की विस्तृत जानकारी है। इन तस्वीरों के माध्यम से इसरो आसानी से अगले मिशन में लैंडिंग की जगह का पता लगा सकता है।
इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया है कि ऑर्बिटर में सात सालों तक परिक्रमा लगाने के लिए ईंधन बरकरार है। भविष्य में भारत केवल लैंडर और रोवर भेजकर ही चंद्रयान मिशन को पूरा कर सकता है, क्योंकि मिशन के लिए मौजूदा ऑर्बिटर काम कर सकता है। इसरो ने जानकारी दी है कि ऑर्बिटर के टैरेन मैपिंग कैमरे की मदद से अब तक 40 लाख वर्ग किमी इलाके की तस्वीरों का डाटा वापस भेजा है।
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