नई दिल्ली: दुनिया को कोरोना के जाल में फंसाकर चीन अपने पड़ोसियों की जमीन हड़पने में लगा है। हालांकि इस बार चीन को भारत से करारा जवाब मिला है, लेकिन वह दूसरे देशों को मदद के नाम पर कर्ज़ देकर उनकी जमीन को कब्जाने की योजना में लगा है। चीन के लिए यह नया नहीं है, क्योंकि उसने कुछ इसी तरह से करीब 70 साल पहले तिब्बत पर कब्जा किया था। उसने पहले तो तिब्बत पर विकास कार्यशुरू किया और फिर वहां पर धीरे-धीरे अपनी सेना बढ़ानी शुरू कर दी। उसके बाद साल 1951 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया।
चीन गरीब देशों का जमकर कर्ज देता है और कर्ज में डूबे देश उसके सामने चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते।
नेपाल के चप्पे-चप्पे पर चीन का कब्ज़ा
नेपाल की जमीन पर कंस्ट्रक्शन चल रहा है, लेकिन 60 फीसदी मज़दूर और इंजीनियर चीन के हैं। हर कंस्ट्रक्शन साइट पर चीन का बाकायदा बोर्ड लगा हुआ है। नेपाल में चीन का निर्माण बहुत तेज़ी से चल रहा है। नेपाल की ज़मीन पर जिनपिंग ने ऐसा जाल बिछा दिया है कि नेपाल कब चीन का गुलाम बन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। चीन के इस निर्माण में एयरबेस, लंबी-लंबी सड़कें, एयरपोर्ट, रेस्ट्रां और पांच सितारा होटल सब शामिल हैं।
पोखरा एयरपोर्ट का चीन विस्तार कर रहा है। कोरोना काल में काम ठप था, लेकिन जैसे काम खुला वैसे ही चीन के काम में तेज़ी आ गई। अब चीन की नजर नेपाल के एयरबेस पर है। नेपाल के सबसे बड़े पर्यटक स्थल पोखरा में चीन एयरपोर्ट की निर्माण कर रहा है। जिसके बदले नेपाल को 22 अरब नेपाली रुपया कर्ज दिया गया है और इस एयरपोर्ट का निर्माण 11 अगस्त 2018 से शुरु किया गया है। इसमें 60% चीनी मजदूर निर्माण कार्य में लगे हैं। पोखरा एयरपोर्ट तैयार होने वाला है। वहीं नेपाल के भैरावा में गौतम बुद्ध एअरपोर्ट भी चाइना ने बनाकर तैयार कर दिया है। चीन से लगी सीमा पर लूकला एयरपोर्ट का निर्माण भी चीन ने किया है, जो परी तरह से ऑपरेशनल है।
चीन की निगाह नेपाल में सड़क और 5जी टावर लगाने के बाद अब एयर बेस बनाने पर है, जिसके जरिए नेपाल के एयरबेस पर अपना कब्जा जमाना चाहता है। चीन ने नेपाल से सटे सभी सीमाओं पर अपना सड़क निर्माण कर दिया है। साथ ही माउंट एवरेस्ट और सीमावर्ती इलाकों में 5G टावर भी लगा दिया है।
दरअसल चीन की नीति गरीब मुल्कों के कर्ज़ लादकर उस पर अपनी हुकूमत बरकरा रखना चाहता है। पाकिस्तान, श्रीलंका और बांगलदेश की तरह चीन नेपाल को कर्ज़ में डुबा कर वहां पर अपना कब्ज़ा जमाना चाहता है। दिनोंदिन ओली की सरकार उसके चाल में फंसती ही जा रही है। कर्ज़ का यही आलम रहा तो 1 दिन नेपाल को अपना एयर बेस भी गंवाना पड़ सकता है। हालांकि इसको लेकर अब देश के तराई में इसका विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुका है, लेकिन केंद्र की ओली सरकार अनुदान के नाम पर जनता को गुमराह कर चाइना के द्वारा जगह जगह निर्माण कर वा रही है।
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