मुस्लिम युवाओं के लिए आजीविका का सहारा बना कराची में स्थित 200 साल पुराना हिंदू मंदिर - The Sanskar News

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Sunday, May 31, 2020

मुस्लिम युवाओं के लिए आजीविका का सहारा बना कराची में स्थित 200 साल पुराना हिंदू मंदिर

मुस्लिम युवाओं के लिए आजीविका का सहारा बना कराची में स्थित 200 साल पुराना हिंदू मंदिर

 

सार
पाकिस्तान के सबसे बड़े महानगर कराची में स्थित एक 200 साल पुराना मंदिर वहां रहने वाले हिंदू समुदाय के लिए पूजा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन यह मंदिर मुस्लिम युवाओं के लिए भी वरदान साबित हो रहा है। यह मंदिर क्षेत्र के उद्यमी मुस्लिम युवाओं के लिए आजीविका का साधन भी बन गया 

 
विस्तार
दरअसल, कराची बंदरगाह के पास स्थित मूल जेटी ब्रिज पर स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में हिंदू समुदाय के लोग नियमित रूप से पूजा करने के लिए और धार्मिक त्योहारों पर आते हैं। इससे स्थानीय मुस्लिम युवाओं की आजीविका का प्रबंध हो जाता है। 
सत्ताधारी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के विधायक और पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के सदस्य रमेश वंकवानी के मुताबिक यह मंदिर हिंदुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही अंतिम क्रियाओं और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी यह एक पवित्र स्थान है। उन्होंने कहा, 'कराची में खाड़ी के किनारे पर स्थित यह अकेला मंदिर है।' 
वंकवानी ने कहा, यह मंदिर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूजा करने के लिए हम हिंदुओं के लिए समुद्र के जल का खासा महत्व होता है। हम अनुष्ठानों में कई वस्तुएं समुद्र में प्रवाहित करते हैं।
समुद्र में मिलती रहती हैं कीमती वस्तुएं
एक स्थानीय मुस्लिम युवा शफीक के अनुसार मंदिर में आने वाले हिंदू पुल से कई वस्तुएं समुद्र में फेंकते हैं, इनमें कई कीमती वस्तुएं होती हैं, इसका मतलब यह है कि स्थानीय लड़के इन वस्तुओं को एकत्र करके अपनी आजीविका चला सकते हैं। 

20 वर्षीय शफीक और 17 वर्षीय अली कुछ अन्य लोगों के साथ अक्सर ऐसी वस्तुएं निकालने के लिए समुद्र में छलांग लगाते रहते हैं। शफीक के मुताबिक, लड़कों को सोने और चांदी के जेवर, सिक्के और कई अन्य कीमती वस्तुएं मिली हैं। उसने कहा, 'हमने खुद को प्रशिक्षण दिया और पेशेवर गोताखोर और तैराक बन गए हैं। हम पानी के अंदर लंबे समय तक सांस रोक सकते हैं और वस्तुएं खोज सकते हैं। 

यह पूछने पर किया क्या मंदिर आने वाले श्रद्धालु या मंदिर की देखभाल करने वाले इस पर आपत्ति जताते हैं, अली ने कहा कि कभी-कभार वह चिल्लाते हैं और जाने को कहते हैं। अली ने कहा, जब ऐसा होने लगता है तो हम कुछ दिन के लिए चले जाते हैं लेकिन बाद में फिर पुल पर अपनी जगह आ जाते हैं। हम यहां तब तक रहते हैं जब कर मंदिर पूजा के लिए खुला होता है। पूरा दिन हम समुद्र में फेंकी कई वस्तुएं ढूंढते रहते हैं। 

कोरोना वायरस की वजह से आया संकट
यह पूछने पर कि वह समुद्र में मिली वस्तुओं का क्या करते हैं, अली ने कहा कि वह इन चीजों को बेच देते हैं। शफीक ने बताया कि पिछले कुछ सालों में हमें समुद्र में कई वस्तुएं मिली हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी पूजा और रिवाजों में बहुत लीन रहते हैं। अली का कहना है कि फिलहाल कोरोना वायरस के चलते यहां आने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हो गई है, इससे उनकी आजीविका संकट में आ गई है। 

मंदिर की देखरेख करने वाले लोगों में से एक विवेक ने कहा, 'इन दिनों कोरोना वायरस संकट की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रहती है। हम सोशल डिस्टेंसिग का पालन कर रहे हैं और मंदिर में चार या पांच से ज्यादा लोगों को एक साथ आने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।' बता दें कि आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू रहते हैं। हालांकि, समुदाय के मुताबिक पाक में रहने वाले हिंदुओं की संख्या 90 लाख से भी ज्यादा है। पाकिस्तान में हिंदू आबादी का बड़ा हिस्सा सिंध प्रांत में रहता है। 


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