संस्कार न्यूज़-:ग्वालियर 07/04/2020
शिवपुरी -: पवन भार्गव राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी गौरव शर्मा बामौर शिवपुरी प्रदेश महासचिव एवं मीडिया प्रभारी विप्र एकता फाऊंडेशन मध्य प्रदेश द्वारा बताया गया की मेरा और मेरे संगठन विप्र एकता फाऊंडेशन का एक ही लक्ष्य है हमारे कानून एवं संविधान की महत्वपूर्ण जानकारी जन-जन तक पहुंचाना और गरीब एवं असहाय व्यक्तियों की सेवा करना और मातृभूमि के लिए तन मन धन से सदैव समर्पित रहना यह हमारे विप्र एकता फाऊंडेशन का मुख्य खुद देश है गौरव शर्मा जी द्वारा बताया गया
शर्मा द्वारा बताया गया कि महिलाओं के लिए अधिकार जाना बहुत जरूरी है
महिलाओं के अधिकार
शादीशुदा या आविवाहित स्त्रियों अपने साथ हो रहे अन्याय बा प्रताड़ना को घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत दर्ज करा कर उसकी घर में रहने का अधिकार पा सकती है जिसमें वे रह रही हैं ,, अभी किसी महिला की इच्छा के विरोध उसके पैसे से शेयर्स या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया जा रहा हो तो इस कानून का इस्तेमाल करके वह इसी रोक सकती है ,, इस कानून के अंतर्गत घर व बंटवारा कर महिलाओं को उसी घर में रहने का अधिकार मिल जाता है और उसे प्रताड़ित करने वालों को उससे बात तक करने की इजाजत नहीं दी जाती ,, विवाहित होने की स्थिति में अपने बच्चों की कस्टडी और मानसिक शरीर एक प्रताड़ना का मुआवजा माननीय का भी उसे अधिकार है ,, घरेलू कौन सा में महिलाएं खुद पर हो रहे अत्याचार के लिए सीधे न्यायालय से गुहार लगा सकती हैं इसके लिए वकील को लेकर जाना जरूरी नहीं है अपनी समस्या के निदान के लिए पीड़ित महिला वकील प्रोटेक्शन ऑफिसर और सर्वेश प्रोवाइडर मैं से किसी एक को साथ ले जा सकती हैं और चाहे वह खुद ही अपना पक्ष रख सकती हैं ,, भारतीय दंड संहिता 498 के तहत किसी भी शादीशुदा महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करना कानूनी अपराध है अब दोषी को सजा के लिए कोर्ट में लाने या सजा पाने की अवधि बढ़ाकर आजीवन कर दी गई है ,, हिंन्दू विवाह अधिनियम 1995 के तहत नियम परिस्थितियों मैं कोई भी पत्नी अपने पति से तलाक ले सकती है पहली पत्नी होने के बावजूद पति द्वारा दूसरी शादी करने पर पति के सात साल तक लापता होने पर परिणय संबंधों में संतुष्ट ना कर पाने पर मानसिक शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने पर धर्म परिवर्तन करने पर पति को गंभीर या लालच बीमारी होने पर पति पति ने पत्नी को त्याग दिया हो और उन्हें अलग करते हुए एक बरस से अधिक समय हो चुका हो तो ,, यदि पति बच्चे की कस्टडी पाने के लिए कोर्ट में पत्नी से पहले याचिका धार कर दे तब भी महिला को बच्चे की कस्टडी प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार है ,, तलाक के बाद महिला को गुजरा भत्ता स्त्री धन और बच्चों की कस्टडी पानी का अधिकार भी होता है लेकिन उसका फैसला साक्ष्यों के आधार पर अदालत की ही करती है ,, पति की मृत्यु या तलाक होने की स्थिति में महिला अपने बच्चों की संरक्षक बनने का दावा कर सकती है ,, भारतीय कानून के अनुसार गर्भपात कराना अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन गर्भ की वजह से यदि किसी महिला के स्वास्थ्य को खतरा हो तो वह गर्भपात करा सकती है ऐसी स्थिति में उसका गर्भपात वैद्य माना जायेगा साथ ही कोई व्यक्ति महिला की सहमति के बिना उससे गर्भपात के लिए बाध्य नहीं कर सकता अभी भाई ऐसा करता है तो महिला कानूनी दावा कर सकती है ,, तलाक की याचिका पर शादीशुदा स्त्री हिंन्दू मैरेज एक्ट के सेक्शन 24 के तहत गुजारा भत्ता ले सकती है तलाक लेने के निर्णय के बाद सेक्शन 25 के तहत परमानेंट एलिमनी लेने का भी प्रावधान है विधवा महिलाएं यदि दूसरी शादी नहीं करती है तो वे अपने ससुर से मेंटेनेंस पाने का अधिकार रखती हैं इतना ही नहीं यदि पत्नी को दी गई रकम कम लगती है तो वह पति को अधिक खर्च देने के लिए बाध्य भी कर सकती है गुजारे भत्ते का प्रावधान एडांप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट में भी है ,, सीआर पी सी के सेक्शन 125 के अंतर्गत पत्नी को मेंटेनेंस जो कि भरण पोषण यहां पर यहां जान लेना जरूरी होगा कि जिस तरह से हिंदू महिलाओं को यह तमाम अधिकार मिले हैं इसी तरह या उसके समकक्ष या समानांतर अधिकार अन्य महिलाओं जो कि हिंन्दू नहीं है कोई भी इनके पर्सनल लॉ में उपलब्ध है जिसका उपयोग वे कर सकती हैं ,, लिव इन रिलेशनशिप मैं महिला पार्टनर को वही दर्जा प्राप्त है जो किसी विवाहिता को मिलता है ,, लिव इन रिलेशनशिप संबंधों के दौरान अधिक पार्टनर अपने जीवनसाथी को मानसिक या शरीर प्रताड़ना दे तो पीड़ित महिला घरेलू हिंसा कानून की सहायता ले सकती है ,, लिव इन रिलेशनशिप से पैदा हुई संतान वैद्य मानी जाएगी और इसमें भी संपत्ति में हिस्सा पाने का अधिकार होगा ,, पत्नी के जीवित रहते हुए यदि कोई पुरुष दूसरी मेला के लिव इन रिलेशनशिप रखता है तो दूसरी पत्नी को भी गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है पहेली ,, प्रसव से पूर्व गर्भस्थ शिशु का लिंग जांचने वाले डॉक्टर और गर्भपात करने का दावा बनाने वाले पति दोनों को ही अपराधी करा दिया जाएगा लिंग की जांच करने वाले डॉक्टर को 3 से 5 बरस का कारावास और 10 से 15 हजार रुपए का जुर्माना हो सकता है लिंक जांच का दवाब डालने वाले पति और रिश्तेदारों के लिए भी सजा प्रावधान है ,, 1955 हिंन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 26 के अनुसार पत्नी अपने बच्चों की सुरक्षा भरण पोषण और शिक्षा के लिए भी निवेदन कर सकती है ,, हिंन्दू एडॉप्शन एंड सेक्शन एक्ट के तहत कोई भी वयस्क विवाहित या अविवाहित महिला बच्चों कको गोद ले सकती है ,, यदि महिला विवाहित है तो पति की सहमति के बाद ही बच्चा गोद ले सकती है ,, दाखिले के लिए स्कूल में फार्म मैं पिता का नाम रखना अब अनिवार्य नहीं है बच्चे की मां या पिता में से किसी भी एक अभिभावक का नाम लिखना ही पर्याप्त है जमीन जा जात से जुड़े अधिकार ,, विवाहित या अविवाहित महिलाओं को अपने पिता की संपत्ति में बराबर का हिस्सा पाने का हक है इसके अलावा विधवा बहू अपने ससुर से गुजारा भत्ता का संपत्ति में हिस्सा पाने की हकदार है ,, हिंन्दू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 27 के तहत पति और पत्नी दोनों की जितनी भी संपत्ति है उसके बंटवारे की भी मांग पत्नी कर सकती है उसके अलावा पत्नी के अपने स्त्री धन पर भी उसका पूरा अधिकार रहता है ,, 1954 , के हिंन्दू मैरिज एक्ट में महिलाएं संपत्ति में बंटवारे की मांग नहीं कर सकती थी लेकिन अब कोपा सैनरी राइट के तहत उन्होंने अपने दादाजी या अपने पुरखों द्वारा अर्जित संपत्ति में भी अपना हिस्सा पाने का पूरा अधिकार है यह कानून सभी राज्यों में लागू हो चुका है कामकाजी महिलाओं के अधिकार ,, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट रूम 5 शेट्यून 5 के तहत यौन संपर्क के प्रस्ताव को ना मानने के कारण कर्मचारी को काम से निकालने वाला एनी नामों के वंचित करने का कार्रवाई का प्रावधान है ,, समान काम के लिए महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन पाने का अधिकार है ,, धारा 66 के अनुसार सूर्योदय से पहले सुबह 6:00 बजे और सूर्यास्त के बाद शाम 7:00 बजे के बाद काम करने के लिए महिलाओं को बाध्य नहीं किया जा सकता ,, भले ही उन्हें ओवरटाइम दिया जाए लेकिन कोई महिला अभी शाम 7:00 बजे के बाद ऑफिस में ना रुकना जाए तो उसे रुकने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता ,, ऑफिस में होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ महिलाएं शिकायत दर्ज करा सकती हैं ,, आदि पुलिस एफ आई आर दर्ज करती है तो एफ आई आर की कॉपी देना पुलिस का कर्तव्य है ,, सूर्योदय से पहले और सूर्योस्य के बाद किसी भी तरह की पूछताछ के लिए किसी भी महिला को पुलिस स्टेशन में नहीं रोका जा सकता ,, पुलिस स्टेशन में किसी भी महिला से पूछताछ करने या उसकी तलाशी के दौरान महिला कांन्सटेबल का होना जरूरी है ,, महिला अपराधी की डॉक्टरी जांच महिला डॉक्टर करेगी या महिला डॉक्टर की उपस्थिति के दौरान कोई भी पुरुष डॉक्टर ,, किसी भी महिला गवाह को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन आने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जरूरत पड़ने पर उसकी पूछताछ के लिए पुलिस को उसके घर जाना होगा ,, महिलाओं की महत्वपूर्ण जानकारी हमारे लिए दी गई ए समाजसेवी पवन भार्गव राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी विप्र फाउंडेशन गौरव शर्मा बामौर बदरवास प्रदेश महासचिव एवं मीडिया प्रभारी विप्र एकता फाऊंडेशन मध्य प्रदेश पवन भार्गव एवं गौरव शर्मा जी द्वारा बताया गया कि एक कानूनी चीजें जाना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण रखते हैं इसलिए मैं सभी माताओं और बहनों तक यह संदेश यह खबरें पहुंचाने का निरंतर प्रयास करता रहता हूं मेरे माध्यम से मैं जानकारियां हमारी माताएं बहने तक मैं सदैव पहुंचाता रहता हूं मेरा सदैव यही प्रयास बनता है कि हमारी माताएं बहने को सदैव मान सम्मान स्वाभिमान के साथ अपना जीवन अर्पण करें हमारी संस्कृति में स्त्री को दुर्गा का रूप माना जाता है तो मैं सभी नारी जाति को नमन एवं प्रणाम करता हूं गौरव शर्मा द्वारा बताया गया
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