
चीनी अपने दादी-नानी के नुस्खों पर दोबारा लौटने लगे हैं.
नई दिल्ली: चीन की स्वास्थ्य व्यवस्था इस वक्त पूरी तरह से ध्वस्त है. कोरोना वायरस (Corona Virus)का अभी तक कोई ठोस इलाज नहीं तैयार हो पाया है. ऐसे में चीनी अपने दादी-नानी के नुस्खों पर दोबारा लौटने लगे हैं. खुद डाक्टर भी इस वायरस से बचाव के लिए परंपरागत इलाज के इस्तेमाल पर जोर देने को कह रहे हैं. ऐसे में चीनी मरीज अपनी जान बचाने के लिए कई नुस्खें अपना रहे हैं. आइए बताते हैं कैसे-कैसे उपाय कर रहे हैं चीनी...
कछुए का मीट खा रहा है पूरा चीन
कोरोना वायरस का कोई ठोस टीका तैयार नहीं होने की वजह से अब चीनी डाक्टर तक पुराने नुस्खों को अपनाना शुरू कर चुके हैं. ऐसे में अब चीन के सभी अस्पतालों में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को कछुए का मीट खिलाया जा रहा है. चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि इस संक्रमण की वजह से शरीर में ताकत की कमी हो रही है. ऐसे में कछुए का मीट शरीर को हाई प्रोटीन उपलब्ध कराता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के जिन अस्पतालों में कोरोना वायरस के मरीज हैं उन सभी में रात को डिनर में अनिवार्य रूप से कछुए का मीट परोसा जा रहा है.

चीनी देसी दवाओं का भी हो रहा है खूब इस्तेमाल
प्राप्त जानकारी के मुताबिक वायरस से संक्रमित लोग अब एलोपैथी दवाओं से ज्यादा अपने पुराने इलाज पद्धति पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं. इन दिनों बैल के सींग का चूरा और अन्य हर्बल दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. चीन में देसी दवाओं की दुकानों में अन्य मेडिकल स्टोर्स के मुकाबले ज्यादा भीड़ होने लगी है.
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