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Tuesday, March 17, 2020

सिंधिया बीजेपी में कैसे आए कैसे रणनीति बनी आने में कितना समय लगा पूरा विस्तार से पढ़ें

 17 March 2020

सिंधिया को अपने पाले में लेने के लिए भाजपा को सोचने में लगे छह माह

नई दिल्ली (एजेंसी)। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में जाना रातों-रात की घटना नहीं है। सिंधिया को भाजपा में लिया जाए या न लिया जाए, भाजपा नेतृत्व ने यह तय करने के लिए 6 महीने लगा दिए थे। यह तो सब जानते हैं कि मध्य प्रदेश के स्थानीय भाजपा नेता तो सिंधिया को पार्टी में शामिल करने के खिलाफ थे। उनकी नजर में सिंधिया ऊंची नाक वाले हैं लेकिन सब दिन एक से नहीं रहते। 
मई 2019 में लोकसभा चुनाव में गुना संसदीय सीट से सिंधिया की हार ने उनका भविष्य तय कर दिया। एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ सिंधिया को समझ आ गया कि अगर उन्हें अगली बार गुना संसदीय सीट फिर से जीतनी है तो उन्हें भाजपा का हिस्सा बनना ही होगा। फिर क्या था, उन्होंने अपने पुराने मित्र और पूर्व बैंकर सैयद जफर इस्लाम से बातचीत शुरू की। सिंधिया मॉर्गन स्टेनले तो जफर डॉएचे बैंक में काम करते थे। जफर ने बैंक छोड़कर भाजपा के लिए काम करना शुरू कर दिया जबकि सिंधिया कांग्रेस में चले गए। 18 साल की दोस्ती में सिंधिया ने जफर से पहली बार भाजपा में शामिल होने की बात कही। उन्हें विश्वास था कि उनका पुराना दोस्त किसी को इस बात की हवा नहीं लगने देगा। हरेक से तो ऐसी बात की भी नहीं जा सकती है। इस तरह जफर सिंधिया को भाजपा में लाने के मुख्य सूत्रधार बने। जफर ने मौका देखकर यह बात पहली बार तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कान में डाली। अमित शाह ने इस प्रस्ताव पर ठंडा रूख दिखाया। उधर, दोनों दोस्त आपस में मिलते-जुलते रहे और दिल्ली के होटलों में खाने पर बात आगे बढ़ाते रहे। उनके इस अभियान में एक मीडिया हाऊस का मालिक भी आ जुड़ा तो उनकी कोशिशों को नया बल मिलने लगा। अंतत: पहुंचे हुए राजनीतिज्ञ अमित शाह ने कहा कि ठीक है, लेकिन सिंधिया को अपने साथ अपने विधायकों को भी लाना होगा और उनसे कांग्रेस को अलविदा कहलवाना होगा ताकि कमलनाथ सरकार को धराशायी किया जा सके। बातचीत चलती रही और आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी हामी भर दी। उसके बाद भाजपा ने 10 मार्च को होली के रंग से सिंधिया का तिलक करने का फैसला किया और जफर इस्लाम से कहा कि वह अपने मित्र को लेकर गुजरात हाऊस पहुंचें। सिंधिया दिल्ली में अपने घर आनंद लोक से गाड़ी में गुजरात हाऊस के लिए निकल पड़े। उधर अमित शाह 6-कृष्णा मैनन मार्ग स्थित अपने आवास से गुजरात हाऊस पहुंच गए। दोनों में एक घंटे तक बातचीत हुई और छोटे-मोटे विषयों पर चर्चा के बाद शाह की कार में दोनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने चल दिए। उस दिन सिंधिया को अपने पिता माधवराव सिंधिया के 75वें जन्मदिवस पर ग्वालियर जाना था, लेकिन उन्होंने 7 लोक कल्याण मार्ग जाना अधिक बेहतर समझा, क्योंकि वहीं उनका भाजपा में कल्याण होने वाला था। दोनों पक्षों के लिए यह बराबरी का सौदा रहा।  

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