सिंधिया को सम्मान,दिग्विजय सिंह को सत्ता में भागीदारी, कमलनाथ को दोनों का साथ चाहिए - The Sanskar News

Breaking

Thursday, January 16, 2020

सिंधिया को सम्मान,दिग्विजय सिंह को सत्ता में भागीदारी, कमलनाथ को दोनों का साथ चाहिए


सिंधिया को सम्मान,दिग्विजय सिंह को सत्ता में भागीदारी, कमलनाथ को दोनों का साथ चाहिए


संस्कार न्यूज़

 



सिंधिया को सम्मान, दिग्विजय को सत्ता में भागीदारी 

कमलनाथ को दोनों का साथ चाहिए
विशेष रिपोर्ट
मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार का कार्यकाल पूरे पांच वर्ष तक चले, यह दृढ़ निश्चय किसी और का नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और कांग्रेस के भावी प्रधानमंत्री उम्मीदवार राहुल गांधी का है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया आज से आगामी 3 दिनों के प्रवास पर राजधानी भोपाल में हैं। उनका पहला दिन कांग्रेस में मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार को मजबूत करने की दिशा में डिनर पॉलिटिक्स के साथ राजनीतिक एवं प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत के निवास पर कांग्रेस के 60 विधायकों ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री कमलनाथ नहीं आ पाए और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने देर रात तक डिनर पॉलिटिक्स की तथा निष्कर्ष यह निकला कि मुख्यमंत्री कमलनाथ मध्यप्रदेश सरकार के सभी महत्वपूर्ण फैसलों पर कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ङ्क्षसह और मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ-साथ सभी विधायकों का दिल खोलकर समर्थन चाहते हैं।
सूत्र बताते हैं कि सिंधिया ने विधायकों से प्रधानमंत्री मोदी के सीएए और एनसीआर के फैसले का तथ्यात्मक विरोध करने के लिए तैयार रहने को कहा है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री देश का ध्यान महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे से भटकाकर सबको गुमराह कर रहे हैं, इस बात को गली-गली में प्रचारित किया जाए। एक वर्ष के कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में मध्यप्रदेश सरकार ने जितनी उपलब्धियां की हैं, वह एक रिकॉर्ड है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश को 1 लाख 86 हजार करोड़ के कर्ज में कांग्रेस को सौंपा है। बताते हैं कि सिंधिया ने कहा है कि कांग्रेस को कमजोर करने का षडय़ंत्र किया जा रहा है, इसे हम सबको समझना होगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों द्वारा केवल एक ही मांग उठाई गई कि महाराज का सम्मान होना चाहिए, जिसमें अभी कुछ कमी है। कुछ विधायकों ने तो स्पष्ट कहा कि कमलनाथ जी को स्वतंत्र रूप से सरकार चलाना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ङ्क्षसह का नाम लिए बगैर उनकी सत्ता में भागीदारी से कुछ विधायकों ने सरकार को असहज होने का कारण भी बताया। लेकिन कुछ विधायक दबी जुबान से यह भी जरूर इशारा कर रहे थे कि दिग्विजय की सत्ता में भागीदारी इसलिए जरूरी है कि वे पूरे मध्यप्रदेश के प्रशासनिक ढर्रे को बेहतर समझते हैं, लेकिन कमलनाथ के निकटस्थ विधायकों का मानना था कि कांग्रेस को अब एकता की मिसाल कायम करनी होगी और यह समझकर चलना पड़ेगा कि जितना प्रशासनिक अनुभव एवं पकड़ मुख्यमंत्री कमलनाथ में है, मध्यप्रदेश के किसी भी कांग्रेस नेता में नहीं है। एकता के नाम पर सिंधिया गुट के ही स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने सबसे पहले पहल की और आज दूसरे नम्बर पर परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत का डिनर पॉलिटिक्स कमलनाथ सरकार के लिए मील का पत्थर साबित होगा, ऐसा माना जा रहा है।

No comments:

Post a Comment