गुना. कायाकल्प अभियान के तहत इन दिनों जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने में अस्पताल प्रबंधन सहित जिला प्रशासन भी लगा हुआ है। आए दिन एडीएम से लेकर एसडीएम अस्पताल का भ्रमण कर कमियों को दूर करने के लिए प्रबंधन को निर्देश दे रही हैं लेकिन इनका पालन गंभीरता से नहीं किया जा रहा है। यही कारण है कि बीते दिनों एडीएम व एसडीएम ने भ्रमण के दौरान पाई गई कमियों को दूर करने के लिए कहा था लेकिन 8 दिन बाद भी पूरा नहीं किया जा सका है।
अस्पताल की व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत यह है कि कड़कड़ाती ठंड में डॉक्टर्स के रूप में तो हीटर रखे हो गए हैं लेकिन वार्ड में भर्ती मरीजों व उनके अटैंडरों को एक कंबल तक नसीब नहीं हो पा रहा है। ऐसे में कुछ मरीज तो किराए का कंबल खरीदकर ठंड बचा रहे हैं तो वहीं आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के परिजन अपने घर से गर्म कपड़े मंगाने को मजबूर हैं। वार्ड में भर्ती मरीजों की दूसरी बड़ी समस्या मच्छरों का प्रकोप तथा चूहे बने हुए हैं।
यहां बता दें कि 12 दिसंबर को कलेक्टर के आदेश पर एडीएम लोकेश जॉगिड़ तथा एसडीएम शिवानी गर्ग जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंची थी। इस दौरान दोनों ही अधिकारियों ने 5 घंटे से ज्यादा समय तक अस्पताल के प्रत्येक वार्ड का भ्रमण करने के पश्चात भर्ती मरीजों को पर्यात कंबल, अटैंडरों को बैठने के लिए स्टूट की व्यवस्था तथा सभी वार्डों के अलावा मेटरनिटी वार्ड में प्रसूताओं व बच्चों को मच्छरों व चूहों से बचाने के लिए इंतजाम करने के निर्देश वार्ड इंचार्ज तथा प्रबंधक को दिए थे। लेकिन 8 दिन बाद भी किसी भी मामले में सुधार नहीं किया गया है। यह स्थिति भी तब है जब इस दौरान एक बार संयुक्त संचालक भोपाल डॉ पंकज शुक्ला तथा कंसलटेंट डॉ विवेक मिश्रा जिला अस्पताल का भ्रमण कर चुके हैं।
किस वार्ड में क्या कमी
- जिला अस्पताल के अस्थि वार्ड में दो कमरे हैं जहां दुर्घटना व झगड़े के घायल भर्ती हैं। जिन्हें ठंड से बचने कंबल नहीं दिया गया है। वहीं कमरे की खिड़कियों में लगी जाली टूटी हुई है जहां से मच्छर आ जाते हैं। वहीं वार्ड स्टाफ का कहना है कि उनके पास कंबल सीमित मात्रा में ही हैं इसलिए सभी मरीजों को कंबल नहीं मिल पा रहे हैं।
एसएनसीयू वार्ड का वेटिंग रूम खुला हुआ है। पास ही में शटर लगी है जहां से लगातार ठंडी हवा आती है जो अटैंडर व यहां तैनात स्टाफ को परेशान करती है। वेटिंग रूम में डॉक्टर को हीटर की व्यवस्था भी नहीं है। इसी तरह चिल्ड्रन वार्ड के कमरों में भी खिड़कियों से ठंडा हवा आती है।
मेटरनिटी वार्ड में सबसे ज्यादा परेशानी यहां भर्ती प्रसूताओं व उनके बच्चों को मच्छर तथा चूहों से हो रही है। क्योंकि चूहे उनके पलंग तक आ जाते हैं। वहीं टूटी खिड़कियों से ठंडी हवा व मच्छर आ जाते हैं।
अटैंडरों का नहीं रखा जा रहा ख्याल
वार्ड में भर्ती मरीज की हर समय देखरेख करने वाले अटेेंडर की सुविधा का ध्यान प्रबंधन बिल्कुल भी नहीं रख रहा है। यही वजह है कि उसे बैठने तक को स्टूल तक नसीब नहीं है। कड़कडाती ठंड में बाजार से किराए पर कंबल व रजाई लगाकर वह अपनी ठंड बचा रहा है। यही नहीं उसे रात में सोने के लिए उचित व्यवस्था भी नहीं है। अस्पताल के अंदर बना रैनबसेरा क्षतिग्रस्त हालत में है। यहां इतनी गंदगी है कि अटैंडर यहां एक मिनट के लिए खड़ा भी नहीं हो सकता है। इसके अलावा अस्पताल के पीआईसू वार्ड में भर्ती बच्चों की मां को जिस वार्ड में रखा जा रहा है वहां उन्हें ओढऩे कंबल नहीं दिए जा रहे हैं। स्टाफ का कहना है कि नियमानुसार आपका बच्चा भर्ती है न कि आप।
वार्ड में भर्ती मरीज की हर समय देखरेख करने वाले अटेेंडर की सुविधा का ध्यान प्रबंधन बिल्कुल भी नहीं रख रहा है। यही वजह है कि उसे बैठने तक को स्टूल तक नसीब नहीं है। कड़कडाती ठंड में बाजार से किराए पर कंबल व रजाई लगाकर वह अपनी ठंड बचा रहा है। यही नहीं उसे रात में सोने के लिए उचित व्यवस्था भी नहीं है। अस्पताल के अंदर बना रैनबसेरा क्षतिग्रस्त हालत में है। यहां इतनी गंदगी है कि अटैंडर यहां एक मिनट के लिए खड़ा भी नहीं हो सकता है। इसके अलावा अस्पताल के पीआईसू वार्ड में भर्ती बच्चों की मां को जिस वार्ड में रखा जा रहा है वहां उन्हें ओढऩे कंबल नहीं दिए जा रहे हैं। स्टाफ का कहना है कि नियमानुसार आपका बच्चा भर्ती है न कि आप।
मैं रात 12 बजे बाइक फिसलने से घायल हो गया था। रात मेें ही अस्पताल में भर्ती हो गया था लेकिन स्टाफ द्वारा मुझे कंबल नहीं दिया गया है। मांगने पर कहा गया कि अभी कंबल नहीं हैं, आ जाएंगे तब दे देंगे।
राजेंद्र सोलंकी, घायल
एबी रोड पर अज्ञात वाहन की टक्कर से वह घायल हो गया था। तब से ही यहां भर्ती है लेकिन अब तक कंबल नहीं दिया गया है। पहले दिन तो ठंड से ठिठुरता रहा बाद में किराया का कंबल मंगाया।
सीताराम पाल, घायल
राजेंद्र सोलंकी, घायल
एबी रोड पर अज्ञात वाहन की टक्कर से वह घायल हो गया था। तब से ही यहां भर्ती है लेकिन अब तक कंबल नहीं दिया गया है। पहले दिन तो ठंड से ठिठुरता रहा बाद में किराया का कंबल मंगाया।
सीताराम पाल, घायल
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