प्लास्टिक थेलियों के उत्पादन, भण्डारण, परिवहन और विक्रय पर रोक - The Sanskar News

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Saturday, December 21, 2019

प्लास्टिक थेलियों के उत्पादन, भण्डारण, परिवहन और विक्रय पर रोक

जिला कलेक्टर सुश्री प्रतिभा पाल ने म.प्र. जैव, अनाश्य, अपशिष्ट (नियंत्रण) अधिनियम 2004 की धारा में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुऐ लोक हित में जिले में प्लास्टिक थेलियों के उत्पादन, भण्डारण, परिवहन, विक्रय एवं उपयोग पर रोक लगादी गई है।
    कलेक्टर द्वारा जारी आम सूचना के अनुसार अधिनियम के प्रावधानों का उलंघन पाये जाने पर जैव, अनाश्य, अपशिष्ट (नियंत्रण) अधिनियम 2004 की धारा 9 के अन्तर्गत दण्ड का प्रावधान है। उल्लंघन पाये जाने पर एक महीने तक का कारावास अथवा 1100/- रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनो से एक साथ तथा उल्लंघन की निरंतरता पाये जाने पर कारावास तीन महिने तक एवं जुर्माना 5000 हजार रूपये तक अथवा दोनो से एक साथ दण्डित किये जाने का प्रावधान है।
    इस प्रतिबंध के साथ-साथ अपशिष्ट प्लास्टिक नियम 2016 के माध्यम के सभी अन्य प्रावधान प्रभावशील है इन नियमों में अपशिष्ट प्लास्टिक प्रबंधन हेतु स्थानीय नगरीय निकाय, ग्राम पंचायत, अपशिष्ट प्लास्टिक उत्पादन कर्ता, प्लास्टिक उत्पादक, आयातकर्ता व ब्राण्ड स्वामी के उत्तरदायित्व निहित किये गये है। पर्यावरण के हित में सर्वसंबंधितों को पान मासाला, तंबाकू और गुटका की पैकिंग में व्लास्टिक सामाग्री/फिनाईल एसीडेट मेलिक एसिड बिनाईल क्लोराईड का प्रयाग नहीं होगा।
    प्लास्टिक शीट या मल्टी लेयर पेकिंग जिस पर निर्माता का विवरण या मार्क स्थिापित नहीं है। उसका क्रय विक्रय नहीं होगा। प्लास्टिक शीट/फिल्म का निर्माण नियम 2016 में किये गये प्रावधन के अनुसार लायसेंस या रजिस्ट्रेशन के बिना नहीं किया जावेगा। प्लास्टिक केरीबेग के स्थान पर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रमाणित व आई.एस-17088 मानकों के अनुसार निर्मित कम्पोस्टेबिल (बॉयो वेस्ड) केरीबेग का उपयोग किया जा सकता है।
    अनाधिकृत क्षेत्रों में अनाधिकृत रूप से अनुरूप संचालित प्लास्टिक फिल्म निर्माता इकाईयों को जिला प्रशासन के माध्यम से तत्काल बन्द दिया जाये। स्थानीय/नगरीय निकाय एवं ग्राम पंचायतें खुले क्षेत्र में प्लास्टिक अपशिष्ट को जलाने पर प्रभावशील रूप से नियंत्रण करेंगी। अपशिष्ट प्लास्टिक नियम 2016 के प्रावधानों का उल्लंघन पाये जाने पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 के अन्तर्गत 5 वर्ष तक का कारावास या 1 लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनो का प्रावधान है। नियमों का लगातार उल्लंघन पाये जाने पर 5000 हजार रूपये प्रतिदिन अतिरिक्त जुर्माने का प्रावधन है।

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