नेशनल लोक अदालत में 3431 प्रकरणों का निराकरण कर 9 करोड़ 04 लाख से अधिक की राशि का अवार्ड पारित
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शिवपुरी | 14-दिसम्बर-2019
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं म.प्र.राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार, जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री अमनीश कुमार वर्मा के मार्गदर्शन में शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। लोक अदालत में कुल 7948 प्रकरणों में से 1105 प्रकरणों का निराकरण आपसी समझौते के आधार पर करते हुए 3 करोड़ 36 लाख 36 हजार 889 रूपए की अवार्ड पारित कर 1992 लोगों को लाभांवित किया गया।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अमनीश कुमार वर्मा द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित कर लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस मौके पर विशेष न्यायाधीश एवं नेशनल लोक अदालत के समन्वय श्री अरूण कुमार वर्मा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री प्रमोद कुमार सहित शिवपुरी के समस्त न्यायाधीशगण, अध्यक्ष, अभिभाषक संघ, जिला न्यायालय एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शिवपुरी का समस्त स्टॉफ सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। आयोजित नेशनल लोक अदालत में 23 खण्डपीठों का गठन किया गया। जिला मुख्यालय सहित तहसील न्यायालयों करैरा, पिछोर, कोलारस, पोहरी एवं खनियांधाना में भी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
नेशनल लोक अदालत में लंबित कुल 1186 प्रकरण में से 268 प्रकरणों का निराकरण कर 1 करोड़ 97 लाख 98 हजार 581 रूपए का अवार्ड पारित किया गया। जिससे लगभग 629 लोगों को लाभ मिला। इसी प्रकार कुल प्रीलिटिगेशन के 5801 प्रकरणों में से 3163 प्रकरणों का निराकरण कर 7 करोड़ 6 लाख 48 हजार 248 रूपए का अवार्ड पारित किया गया। जिससे लगभग 3221 लोगों को लाभ मिला।
साथ ही पराक्रम्य अधिनियम की धारा 138, बैंक रिकवरी, श्रम विभाग, विद्युत एवं जलकर से संबंधित ऐसे प्रकरण जो न्यायालय में लंबित नहीं है। ऐसे प्रकरणों का निराकरण भी प्रीलिटिगेशन स्टेज पर लोक अदालत के माध्यम से किया जाएगा। लोक अदालत में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135, 138 एवं 126 के अंतर्गत न्यायालयों में लंबित प्रकरण एवं विद्युत के प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में नियमानुसार छूट विद्युत कंपनी द्वारा दी गई है। इसके अतिरिक्त नगर पालिका से संबंधित सम्पत्तिकर एवं जलकर प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में नियमानुसार द्वारा छूट प्रदान की गई है। यह छूट 14 दिसम्बर को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में समझौता करने के लिए ही लागू रहेगी। अपराध शमन फीस अधिनियम के प्रावधानुसार बसूल की जाएगी।
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