हमीदिया अस्पताल में बंद हो सकता है गरीब मरीजों का फ्री इलाज, अब चुकाने होंगे 100 से 5000 रुपए
भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया (Government Hospital Hamidia) में

भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया (Government Hospital Hamidia) में अब निशुल्क उपचार की सुविधा पर भी पैसे चुकाने होंगे. अब तक गरीब मरीजों को जो स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त में मिलती थीं उसके लिए नए साल यानी 1 जनवरी 2020 से 100 से लेकर 5 हज़ार रुपए तक चुकाने पड़ सकते हैं. जी हां, गांधी मेडिकल कॉलेज शुल्क में बढ़ोत्तरी का खाका तैयार कर रहा है. इसे अगले सप्ताह होने वाली एग्जीक्यूटिव कमेटी (Executive Committee) की बैठक में रखा जाएगा. कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) के आदेश में नि:शुल्क जांच पर फीस तय करने के साथ उन दरों में बढ़ोतरी करने को कहा गया है, जिन पर अब तक नाम मात्र का पैसा लिया जाता है या वो भी निशुल्क हैं. इसमें ओपीडी भी शामिल है.
राइट टू हेल्थ का क्या होगा?
एक तरफ सरकार स्वास्थ्य की सुविधा देने के लिए राइट टू हेल्थ प्रदेश में लागू करने की तैयारी में है तो वहीं दूसरी ओर गांधी मेडिकल कॉलेज शुल्क में बढ़ोत्तरी का खाका तैयार कर रहा है. गरीबी की मार झेल रहे मरीजों को अब अपनी पॉकेट पर भी लोड झेलना पड़ जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि ये नई दरें नए साल से हमीदिया प्रशासन लागू कर देगा.
इतनी लगेगी फीस
सुविधा मौजूदा चार्ज संभावित चार्ज
ओपीडी 10 20
आईसीयू 100 500
मेजर सर्जरी 700 2000
सोनोग्राफी निशुल्क 250
एक्स रे सामान्य निशुल्क 150
सीजेरियन डिलेवरी निशुल्क 4500
मौजूदा समय में हमीदिया अस्पताल में एक्स रे, सोनोग्राफी या सीजेरियन डिलेवरी जैसी सुविधा के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है, लेकिन नए नियमों के तहत अब मरीजों को इसके लिए शुल्क देना पड़ सकता है. हालांकि ये शुल्क आयुष्मान भारत योजना के तहत मिलने वाले पैकेज की निर्धारित दर का 60 फीसदी ही होगा. उदाहरण के लिए यदि आयुष्मान योजना के तहत किसी इलाज के 1 हजार रुपए लग रहे हैं तो बाकी मरीजों को इसके 600 रुपए चुकाने पड़ेंगे. जबकि गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. टीएन दुबे का कहना है, 'अभी हम खाका बना रहे हैं कि नॉन आयुष्मान लोगों का क्या चार्जेस हो और उनका क्या पैकेज होना चाहिए. पैकेज के अनुरूप ही मरीजों के इलाज की फीस तय की जाएगी.
बहरहाल, हमीदिया अस्पताल केवल भोपाल के मरीजों के लिए ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों और आस-पास के गरीबों के लिए मुक्त में इलाज कराने के लिए बेहतर ठिकाना माना जाता है, लेकिन अब मरीजों के इलाज के लिए नए मसौदे से संकट के बादल मंडरा रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि राज्य सरकार राइट टू हेल्थ अधिकार देने की बात कर रही है.
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