मप्र डे ग्रामीण आजीविका मिशन वर्ष 2012 से गरीब, अति गरीब परिवारों को स्वसहायता समूहों से जोड़कर विकास की मुख्य धारा से लाने के निरंतर प्रयास कर रहा है। इस दिशा में जिले में 5130 स्वसहायता समूह बनाए जाकर 56800 परिवारों को जोड़कर विभिन्न व्यवसायों के क्षेत्र में आर्थिक तरक्की की रफ्तार पकड़कर अपने परिवार की गाड़ी चलाने में सक्षम बन रहे हैं।
कलेक्टर श्री बसंत कुर्रे ने मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वसहायता समूहों के माध्यम से जिले में कृषि, पशुपालन, कड़कनाथ पालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन, मछली पालन, लघु सूक्षम उद्यमिता, अगरबत्ती निर्माण, साबुन निर्माण, वॉशिंग पाउडर, हेण्डवास, टायलेट क्लीनर, फिनाइल, स्कूल ड्रेस, आजीविका फ्रेश, किराना दुकान, मनिहारी दुकान एवं विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 16212 महिलाएं जिनकी पूर्व में वार्षिक आय 80 से 90 हजार रूपए थी। अब यह महिलाएं समूह से जुड़कर 2 लाख से 3 लाख रूपए कमा रही है।
मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के डीपीएम श्री सोहन कृष्ण मुदगल द्वारा जिले के 16121 परिवार जो पूर्व में मिशन से नहीं जुड़े थे। उस समय उनकी वार्षिक आय 80-90 हजार रूपए होती थी। वर्तमान में वही परिवार 2-3 लाख रूपए वार्षिक आय प्राप्त कर रहे हैं। अधिकतर परिवार कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन एवं विभिन्न लघु उद्यमिता गतिविधियों के माध्यम से अपनी आय में निरंतर वृद्धि कर रहे हैं।
जिले में स्केल कार्यक्रम जो वल्र्ड बैंक के सहयोग से संचालित हैं। जिसमें फसलों को जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभावों से बचाते हुए अत्याधिक उत्पादन की दिशा में सफल प्रयास कर रहे हैं। जिसमें कम पानी चाहने वाली फसलें कम समय में आने वाली फसलों के अलावा कड़कनाथ, मुर्गीपालन, मछलीपालन एवं धान की एसआरआई पद्धिति एवं उन्नत किस्म के पशुपालन के माध्यम से संवहनीय आजीविका में वृद्धि कर रहे हैं।
श्योपुर जिले में नवाचार के रूप में स्कूली बच्चों की गणवेश, सिलाई का कार्य विगत दो वर्ष से स्वसहायता समूहों के माध्यम से कराने का प्रयास चल रहा है। इस वर्ष 5 करोड़ 20 लाख 32 हजार रूपए राशि प्राप्त कर 2261 महिलाओं को 2 करोड़ 60 लाख 16 हजार की राशि सिलाई मानदेय एवं लाभांश के रूप में प्राप्त होगी। प्रत्येक परिवार को सिलाई कार्य से गत 4 माह में 20-40 हजार रूपए तक की आय घर बैठे प्राप्त हुई है। जिससे स्वसहायता समूहों में कार्यरत महिलाओं को सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास की दिशा में आगे बढ़ाया गया है।
जिले की सहरिया आदिवासी परिवार की महिलाएं जो अपनी आय एवं आजीविका उपार्जन के लिए जंगल-जंगल भटकती थी। उनकों पूर्व में दिनभर में 200-300 रूपए की जड़ीबूटी संग्रह कर आय प्राप्त होती थी। ऐसी महिलाएं वर्तमान में सिलाई के माध्यम से प्रतिदिन 500-600 रूपए घर बैठे, बिना दौड़-धूप के कमा रही है।
समूह से जुड़कर महिलाएं सशक्त बन रही है। साथ ही महिलाओं की ग्रामसभा में सक्रिय भागीदारी बढ़ी है। जो महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थी। वे आज दूसरे राज्यों एवं जिलों में जाकर समूह निर्माण एवं महिला सशक्तिकरण के बारे में लोगों को जागरूक कर रही है। साथ ही नशामुक्ति एवं कुपोषण के विरूद्ध जागरूकता अभियान संचालित कर तरक्की की राह पकड़ रही है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से श्योपुर, विजयपुर एवं कराहल विकासखण्ड मुख्यालय पर क्रेडिट लिकेंज कार्यक्रम के दौरान महिला स्वसहायता समूह जाटखेड़ा की लक्ष्मी, गोरस की सीमा सहरिया, सुनीता, श्रीमती कृष्णा सहरिया ने बताया कि मप्र सरकार के नेतृत्व में संचालित किए जा रहे आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाएं स्कूल की ड्रेस, सौन्दर्य की सामग्री, मुर्गीपालन, अगरबत्ती निर्माण, साबुन निर्माण, वॉशिंग पाउडर, हेण्डवास, टायलेट क्लीनर, फिनाइल आदि के व्यवसाय से निरंतर आगे बढ़ रही है। जिसका श्रेय राज्य सरकार, जिला प्रशासन और आजीविका मिशन को जाता है।
ब्यूरो रिपोटर प्रवीण मेहता
कलेक्टर श्री बसंत कुर्रे ने मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वसहायता समूहों के माध्यम से जिले में कृषि, पशुपालन, कड़कनाथ पालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन, मछली पालन, लघु सूक्षम उद्यमिता, अगरबत्ती निर्माण, साबुन निर्माण, वॉशिंग पाउडर, हेण्डवास, टायलेट क्लीनर, फिनाइल, स्कूल ड्रेस, आजीविका फ्रेश, किराना दुकान, मनिहारी दुकान एवं विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 16212 महिलाएं जिनकी पूर्व में वार्षिक आय 80 से 90 हजार रूपए थी। अब यह महिलाएं समूह से जुड़कर 2 लाख से 3 लाख रूपए कमा रही है।
मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के डीपीएम श्री सोहन कृष्ण मुदगल द्वारा जिले के 16121 परिवार जो पूर्व में मिशन से नहीं जुड़े थे। उस समय उनकी वार्षिक आय 80-90 हजार रूपए होती थी। वर्तमान में वही परिवार 2-3 लाख रूपए वार्षिक आय प्राप्त कर रहे हैं। अधिकतर परिवार कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन एवं विभिन्न लघु उद्यमिता गतिविधियों के माध्यम से अपनी आय में निरंतर वृद्धि कर रहे हैं।
जिले में स्केल कार्यक्रम जो वल्र्ड बैंक के सहयोग से संचालित हैं। जिसमें फसलों को जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभावों से बचाते हुए अत्याधिक उत्पादन की दिशा में सफल प्रयास कर रहे हैं। जिसमें कम पानी चाहने वाली फसलें कम समय में आने वाली फसलों के अलावा कड़कनाथ, मुर्गीपालन, मछलीपालन एवं धान की एसआरआई पद्धिति एवं उन्नत किस्म के पशुपालन के माध्यम से संवहनीय आजीविका में वृद्धि कर रहे हैं।
श्योपुर जिले में नवाचार के रूप में स्कूली बच्चों की गणवेश, सिलाई का कार्य विगत दो वर्ष से स्वसहायता समूहों के माध्यम से कराने का प्रयास चल रहा है। इस वर्ष 5 करोड़ 20 लाख 32 हजार रूपए राशि प्राप्त कर 2261 महिलाओं को 2 करोड़ 60 लाख 16 हजार की राशि सिलाई मानदेय एवं लाभांश के रूप में प्राप्त होगी। प्रत्येक परिवार को सिलाई कार्य से गत 4 माह में 20-40 हजार रूपए तक की आय घर बैठे प्राप्त हुई है। जिससे स्वसहायता समूहों में कार्यरत महिलाओं को सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास की दिशा में आगे बढ़ाया गया है।
जिले की सहरिया आदिवासी परिवार की महिलाएं जो अपनी आय एवं आजीविका उपार्जन के लिए जंगल-जंगल भटकती थी। उनकों पूर्व में दिनभर में 200-300 रूपए की जड़ीबूटी संग्रह कर आय प्राप्त होती थी। ऐसी महिलाएं वर्तमान में सिलाई के माध्यम से प्रतिदिन 500-600 रूपए घर बैठे, बिना दौड़-धूप के कमा रही है।
समूह से जुड़कर महिलाएं सशक्त बन रही है। साथ ही महिलाओं की ग्रामसभा में सक्रिय भागीदारी बढ़ी है। जो महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थी। वे आज दूसरे राज्यों एवं जिलों में जाकर समूह निर्माण एवं महिला सशक्तिकरण के बारे में लोगों को जागरूक कर रही है। साथ ही नशामुक्ति एवं कुपोषण के विरूद्ध जागरूकता अभियान संचालित कर तरक्की की राह पकड़ रही है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से श्योपुर, विजयपुर एवं कराहल विकासखण्ड मुख्यालय पर क्रेडिट लिकेंज कार्यक्रम के दौरान महिला स्वसहायता समूह जाटखेड़ा की लक्ष्मी, गोरस की सीमा सहरिया, सुनीता, श्रीमती कृष्णा सहरिया ने बताया कि मप्र सरकार के नेतृत्व में संचालित किए जा रहे आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाएं स्कूल की ड्रेस, सौन्दर्य की सामग्री, मुर्गीपालन, अगरबत्ती निर्माण, साबुन निर्माण, वॉशिंग पाउडर, हेण्डवास, टायलेट क्लीनर, फिनाइल आदि के व्यवसाय से निरंतर आगे बढ़ रही है। जिसका श्रेय राज्य सरकार, जिला प्रशासन और आजीविका मिशन को जाता है।
ब्यूरो रिपोटर प्रवीण मेहता
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