मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के लिए 'अपने' ही बन रहे मुसीबत कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ न होने का मसला उठाया, उसके बाद तबादलों को लेकर सवाल खड़े किए।हाइलाइट्स:
- कमलनाथ सरकार के लिए 'अपने' ही यानी कांग्रेस के नेता ही मुसीबतें खड़ी करने लगे
- दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह कमलनाथ सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे
- जिला बनाने को लेकर लक्ष्मण सिंह ने भाई दिग्विजय सिंह के आवास पर धरना दे दिया
- भोपाल मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के लिए बीजेपी से ज्यादा 'अपने' ही यानी कांग्रेस के नेता ही मुसीबतें खड़ी करने में लगे हैं। पार्टी लगातार हिदायतें दे रही है, मगर किसी पर कार्रवाई करने का साहस नहीं दिखा पा रही है, यही कारण है कि मुसीबतें खड़ी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर का बायो बदलने पर सियासी हलचल मची और अब दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह कमलनाथ सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं।
राज्य में कांग्रेस को सत्ता में आए 11 माह से ज्यादा हो गया है। सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं है। हां, संख्या बल के लिहाज से कुल विधायकों की संख्या के मुकाबले आधे विधायक उसके पास हैं। सरकार की ताकत दूसरे दलों के विधायकों का समर्थन है। समर्थन देने वाले विधायक भी गाहे-बगाहे सरकार को घेरते रहते हैं, मगर सबसे ज्यादा दिक्कत तो उसके दल के नेता ही खड़ी किए हुए हैं।
निशाने पर दिग्विजय सिंह भी
दतिया के कांग्रेस नेताओं ने प्रभारी मंत्री डॉ. गोविंद सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला और उन पर कई गंभीर आरोप लगाए। इसके अलावा विधायक ओपीएस भदौरिया और रणवीर जाटव ने भी खुलकर मंत्री पर हमले बोले। वन मंत्री उमंग सिंघार द्वारा दिग्विजय सिंह पर किए गए हमले को भुलाना आसान नहीं होगा। सिंघार ने तो दिग्विजय सिंह को शराब माफियों को संरक्षण देने तक का आरोप लगा दिया था।
शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा से विधायक सुरेश राठखेड़ा ने सिंधिया के प्रति स्वामी भक्ति दिखाने में कोई हिचक नहीं दिखाई। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि अगर सिंधिया नई पार्टी बनाते हैं तो उनके साथ जाने वालों में सबसे पहले उनका नाम होगा। इस पर भी राज्य की सियासत में हलचल मची। कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा का कहना है कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है, सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है, मगर सीमाओं में रहकर। सभी के बयानों पर पार्टी की नजर है।
क्यों कड़े कदम नहीं उठा रही कांग्रेस?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है और इस बात का पार्टी के असंतुष्ट लोग भी लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। कई नेता अनजाने में जनता की बात कहकर सरकार की मुसीबत बढ़ा देते हैं, ऐसे में कांग्रेस भी सख्त रुख नहीं अपना सकती, क्योंकि सख्ती से नुकसान होने का अंदेशा है।
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