सम्पत्ति में समृद्धता लेकिन जीवन में क्यों बढ़ रही है दरिद्रता : पंन्यास प्रवर कुलदर्शनजैन संत ने बताया कि जीवन की समृद्धि के लिए अपनी हेल्पलाइन, होपलाइन, हार्टलाइन और हीललाइन सदैव जीवित रखो । - The Sanskar News

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Friday, July 22, 2022

सम्पत्ति में समृद्धता लेकिन जीवन में क्यों बढ़ रही है दरिद्रता : पंन्यास प्रवर कुलदर्शनजैन संत ने बताया कि जीवन की समृद्धि के लिए अपनी हेल्पलाइन, होपलाइन, हार्टलाइन और हीललाइन सदैव जीवित रखो ।

द संस्कार न्यूज 23जुलाई 2022
न्यूज बाय दीपक शाक्य पोहरी ब्यूरो चीफ
शिवपुरी। जीवन की इससे बढ़कर विसंगति क्या होगी कि हमारे सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन में कोई समन्वय और तारतम्यता नहीं है। दिन प्रतिदिन धन-दौलत से तो हम समृद्ध होते जा रहे हैं। लेकिन जीवन की दरिद्रता बढ़ रही है। इस असंतुलन के कारण ही डिप्रेशन, आत्महत्या, तलाक और सामाजिक अलगाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। जीवन को समृद्ध कैसे करें, उसे जन-जन के कल्याण के लिए कैसे उपयोगी बनाए इस पर सोच विचार अत्यंत आवश्यक है। उक्त प्रेरक उदगार आज आराधना भवन में प्रसिद्ध जैनाचार्य कुलचंद्र सूरिश्वर जी के शिष्य पंन्यास प्रवर कुलदर्शन विजय जी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने अपने दादा गुरू प्रेम सूरिश्वर जी महाराज साहब की पुण्य तिथि पर उनके विचारों को रेखांकित करते हुए कहा कि हम गुलाम बनना चाहते हैं या राजा यह हम पर केन्द्रित है।
क्यों हमारे जीवन में से समृद्धि का हृास होता जा रहा है और दरिद्रता बढ़ रही है, इसे संत कुलदर्शन जी ने कुछ सटीक उदाहरणों से स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि पहले पड़ौसी हमारे परिवार का हिस्सा होते थे, लेकिन आज हमारे परिवार वाले ही हमारे लिए पड़ौसी हो गए हैं। पहले शादी करना आसान था और तलाक मुश्किल। लेकिन आज तलाक आसान है शादी करना मुश्किल है। पहले हम परिवार के तार से जुड़े होते थे और आज मोबाइल के बेतार तार से जुड़े हुए हैं। पहले इंसान सोशल होता था लेकिन आज मोबाइल सोशल है। पहले अमीर आदमी गरीब दिखता था। लेकिन आज प्रदर्शन के युग में गरीब आदमी भी अपने आप को अमीर दिखाने की कोशिश करता है। पहले पुरूष अपनी सम्पत्ति और नारी अपने रूप का प्रदर्शन नहीं करती थी। लेकिन आज स्थिति बिल्कुल विपरीत हो गई है। प्रदर्शन के युग में हम प्रवेश कर सकें और हमारी सामाजिकता और पारिवारिकता समाप्त होती जा रही है। जीवन में दरिद्रता बढऩे के कारण ही करोड़पति और अरबपति लोग भी डिप्रेशन का शिकार होकर आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में जीवन को समृद्धशाली बनाने के लिए हमें चार लाइफलाइन विकसित करनी होगी।
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जीवन बचाने के लिए ये हैं चार लाइफलाइन
जैन संत कुलदर्शन विजय जी ने पहली लाइफलाइन की चर्चा करते हुए कहा कि हेल्पलाइन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होना चाहिए। उसे दूसरों की मदद करने का व्यसन होना चाहिए। जिसकी हेल्पलाइन स्वस्थ होती है, उसे पुण्यरूपी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और पुण्य से ही जीवन चलता है। दूसरी लाइफलाइन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि होपलाइन प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य जीवित रखना चाहिए। इससे जीवन में हताशा और निराशा नहीं आती। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हम अपने बच्चों के जीवन में निरंतर होपलाइन जीवित रखें। उन्हें प्रताडऩा न दें कि वह नालायक हैं, कुछ नहीं कर सकते, किसी काम के नहीं हैं। होपलाइन से जीवन के विकास में मदद मिलती है। तीसरी हेल्पलाइन हार्टलाइन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी की प्रेरणा का आप पर असर नहीं हो रहा तो इसका अर्थ यह है कि आपकी हार्ट लाइन कमजोर है। उन्होंने कहा कि संसार बृद्धि से चलता है। जबकि धर्म हृदय से और जीवन बृद्धि से नहीं बल्कि हृदय से संबंधित है। इसलिए हार्ट लाइन आपकी जीवित रहे इसके लिए सदैव सजग और जागरूक रहना चाहिए। अंतिम लाइफलाइन हीललाइन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हेल्पलाइन, होपलाइन, हार्टलाइन बराबर काम कर रहीं हैं तो यह भी देखना होगा कि जीवन में हीलिंग हो रही है या नहीं।

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