- कानपुर में शुक्रवार को नमाज के बाद अचानक भड़की हिंसा, गोली लगने से 2 प्रदर्शनकारियों की मौत, 13 घायल
- स्थानीय लोगों का दावा- प्रदर्शन के दौरान पुलिस बेबस नजर आई, पुलिस की तैयारी नाकाफी थी, पहुंचने में भी देर लगी
पवन भार्गव संस्कार न्यूज़
Dec 21, 2019, 08:14 PM ISTकानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर में शनिवार को भी आगजनी की घटना सामने आई। नागरिकता कानून के विरोध में शहर में शुक्रवार को भी हिंसा हुई थी। 1992 के दंगों के बाद कानपुर की आवोहवा में तनाव है। स्थानीय लोग इस हिंसा को पूर्व नियोजित बता रहे हैं। बाबूपुरवा, मुंशीपुरवा, बेगमपुरवा में सुरक्षाबल मुस्तैद हैं। अधिकांश घरों में ताले लटक रहे हैं। यहां से लोग नजदीकी रिश्तेदारों, परिचतों के घर डेरा डालने पहुंचरहे हैं। महिलाएं सुरक्षा के लिए नई मस्जिद में पहुंचकर ठहरी हुई हैं।
संस्कार न्यूज़ की टीम सबसे पहले हिंसा प्रभावित बेगमपुरवा पहुंची। यहां शुक्रवार को नमाज के बाद पुलिस पर पथराव हुआ था।पेट्रोल बम और एसिड बम चलाए गए थे। चार रॉड पुलिस चौकी से ईदगाह तक 300 मीटर की दूरी पर कई जगह टूटी शीशियों के कांच पड़े मिले। 4 बाइक जली हुई हालत में पड़ी हैं। यह वाहन पुलिस के बताए गए। शनिवार को इस इलाके में 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी।इनमें एसएसबी, सिविल पुलिस और पीएसी के जवान हैं।
बेगमपुरवा में मेहनत-मजदूरी करने वाले परिवार
बेगमपुरवा में लोगों के बीच पुलिस का खौफ देखने को मिला। महिलाओं का कहना है कि रात में जब पुलिस आई, तो उनके साथ कोई महिला पुलिस नहीं थी। वोलोग बच्चों और बुजुर्गों को ले गए। अब हम लोग मस्जिद के मैदान में इकट्ठा हो रहे हैं।जिस बेगमपुरवा में हिंसा हुई, वहां ज्यादातर परिवार रोज कमाने-खाने वाले हैं। कोई ठेला चलाता है तो कई ई-रिक्शा। कुछ लोग फल की दुकान लगाने वाले और मजदूरी करने वाले हैं।
पोस्टमॉर्टम हाउस: सैफ का भाई बोला- पुलिस ने गोली मारी
हिंसक प्रदर्शन के दौरान गोली का शिकार हुए सैफ (25) का शनिवार को पोस्टमॉर्टम किया गया। स्थानीय नेता परिवार को सांत्वना देने पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। यहां सैफ के बड़ेभाई ने कहा,"हम कल से बता रहे हैं कि हमारे भाई को पुलिस ने गोली मारी है। अभी उसकी उम्र ही कितनी थी? अम्मी रो-रो कर पागल हुई जा रही हैं। सब हम लोगों को ही गलत समझ रहे हैं।" यहां दोबारा हिंसा न भड़के, इसलिए हैलेट हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्डसे पोस्टमॉर्टम हाउस तक बुलेटप्रूफ जैकेट पहने करीब 200 पुलिसकर्मी हुए तैनातहैं।
बुजुर्ग बोले- लड़कों ने नारे लगाए, तो पुलिस ने लाठियांभांजी
बेगमपुरवा में एक बुजुर्ग बताते हैं कि शुक्रवार को ईदगाह में नमाज खत्म हुई, तो लोगों ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने के लिए 300 मीटर दूर चार रॉड पुलिस चौकी तक जुलूस निकालने की बात कही। पुलिस ने मना कर दिया। इसके बाद कुछ लोगों ने नारे लगाए तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। लड़कों ने पथराव शुरू कर दिया, जिसके बाद हालात बिगड़ गए।
पुलिस का तर्क- भीड़ हिंसा कर रही थी, इसलिए लाठीचार्ज किया
सीओ बाबूपुरवा मनोज गुप्ता ने कहा- शहर में धारा 144 लगी है। किसी को जुलूस निकालने की अनुमति नहीं है, लेकिन भीड़ ने हिंसा शुरू कर दी, तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। अब तक 39 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
भीड़ के बवाल के बाद एक्शन में आई पुलिस
बाबूपुरवा, बेगमपुरवा में 3 घंटे तक हिंसा चली। इसके बाद 5.30 बजे के बाद पुलिस ने इलाके में तांडव किया। प्रत्यक्षदर्शियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि रात 10 बजे तक पुलिस घरों में घुस-घुस कर लोगों को पकड़ ले गई। दुकानें तोड़ दी गईं। घरों के सामने खड़े वाहनों को तोड़ दिया गया। जिनके घरों में लकड़ी के दरवाजे हैं, उन्हें तोड़ा गया। यहां अनवर बताते हैं कि उसके घर के दरवाजेको बंदूक की बटों से तोड़ा गया। मेरे भांजे को उठा ले गए। इनायत अली अपने मैजिक वाहन का टूटा शीशा दिखाते हुए कहते हैं कि हम तो बवाल में शामिल भी नहीं थे। घर के सामने खड़ी गाड़ी तोड़ दी। अब आदमी कहां गाड़ी खड़ी करेगा।
ईदगाह मैदान में था बेटी का निकाह, कोई नही पहुंचा
शुक्रवार को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करने वाले जमालुद्दीन की बेटी का निकाह ईदगाह मैदान में होना था। सारी तैयारियां हो चुकी थी। पंडाल सज गए थे। खाना लग गया था, लेकिन बवाल के बाद शादी में कोई मेहमान नही पहुंचा। यहां जो रिश्तेदार इकट्ठा हुए थे वह भी जल्दी निकल गए। हालांकि, दोनों पक्षों से कुछ लोगों ने एक मस्जिद में इकट्ठा होकर निकाह पढ़वा दिया।
एक्सपर्ट की राय: पुलिस में समन्वय की कमी और सूचना तंत्र फेल होने से हिंसा
उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार समीरात्मज मिश्रा कहते हैं कि लखनऊ से लेकर हर उस जिले में पुलिस फेल रही, जहां हिंसा हुई। मिश्र कहते हैं कि लोकल इंटिलिजेन्स पूरी तरह फैल रहा। जब कानपुर शहर के पत्रकारों को मालूम था कि जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन होगा, तो पुलिस को यह कैसे नहीं पता चला? जहां उपद्रव हुए, वहां पुलिस बल की कमी रही। जब हिंसा हो गई तब अतिरिक्त सुरक्षाबल पहुंचा। यही वजह रही कि उपद्रवी तांडव करते रहे। पुलिस में समन्वय की कमी रही। डीएम और एसपी अतिरिक्त पुलिस बल के साथ शाम 5 बजे बाबूपुरवा पहुंचे, जबकि यहां सबसे ज्यादा बवाल हुआ। पुलिस को यह पता ही नहीं चला कि जुमे की नमाज के बाद जुलूस भी निकलेगा। कई जगह जुलूस निकलने दिया गया, तो वहां भी बवाल हुआ और जहां नहीं निकालने दिया, वहां भी बवाल हुआ।
पहले से हिंसा की तैयारी थी?
स्थानीय पत्रकारों का मानना है कि शुक्रवार को जिस तरह का उपद्रव हुआ, वह 1992 के दंगों में दिखाई दिया था। हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने पत्थर, पेट्रोल बम और एसिड बम का प्रयोग किया। यह सब प्री-प्लान्ड एक्शनका पार्ट लग रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि कुछ बाहरी तत्व भी कानपुर में घुसे हुए हैं। इसका अंदाजा तब हुआ जब उपद्रवी चेहरे ढंककर पथराव करते दिखे। लोगों को भड़काया गया। पुलिस की सख्ती के बाद भी जुलूस निकालने के लिए एकजुट हुए। जिन्होंने पीस कमेटी में भीड़ को उग्र न होने का आश्वासन दिया था, वह भी उन्हें रोकने में विफल रहे।
जुमे की नमाज के बाद हिंसा हुई थी
शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद कानपुर के कई इलाकों में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन हुए और हिंसा भी हुई।सबसे ज्यादा उग्र प्रदर्शन बाबूपुरवा में हुए। यहां फायरिंग में सैफ और मुंशीपुरवा के रहने वाले आफताब आलम की प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से मौत हो गईथी। इस दौरान13 लोग घायल हुए थे,जिनका इलाज चल रहा है।
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