- एमपी उपचुनाव की तारीखों का चुनाव आयोग ने किया ऐलान
- एमपी में 28 सीटों पर है उपचुनाव, 3 नवंबर को होगी वोटिंग
- कांग्रेस के 25 विधायकों के छोड़ने के बाद खाली हुई हैं ये सीटें
- कोरोना के नए मानकों के साथ एमपी में भी होंगे उपचुनाव
एमपी उपचुनाव की तारीखों का ऐलान आज हो गया है। एमपी की सभी 28 सीटों पर 3 नवंबर को वोटिंग होगी। वहीं, वोटों की गिनती 10 नवंबर को बिहार चुनाव के साथ ही होगी। इसकी घोषणा आज चुनाव आयोग ने कर दी है। एमपी के साथ छत्तीसगढ़ के मारवाही सीट पर भी उपचुनाव है। वहां भी वोटिंग 3 नवंबर को ही होगी।
9 अक्टूबर को वोटिंग चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो जाएगी। 16 अक्टूबर तक सभी सीटों पर प्रत्याशी पर्चा दाखिल कर सकेंगे। 17 अक्टूबर को स्क्रूटनी होगी। 19 अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की तारीख है। 3 नवंबर को वोटिंग होगी और 10 नवंबर को मतगणना है। वहीं, चुनावी जिलों में आज से आचार संहिता लागू हो गया है।वहीं, इस बार प्रत्याशी ऑनलाइन नामांकन भी दाखिल कर सकते हैं। डोर टू डोर कैंपेन में प्रत्याशी के साथ 5 से ज्यादा लोग नहीं होंगे। एमपी उपचुनाव में कोरोना मरीज भी वोट डालेंगे। चुनाव आयोग इसकी भी व्यवस्था करेगी। चुनाव प्रचार सिर्फ वर्चुअल होगा। इस बार सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक वोटिंग होगी।
इन सीटों पर हैं उपचुनाव
एमपी में 28 सीटों पर उपचुनाव हैं। 28 में 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद खाली हुआ है। वहीं, 3 सीटें विधायकों के निधन से खाली हैं। सुमावली, मुरैना, दिमनी अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, करेरा, पोहरी, बामोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, सांची, अनूपपुर, सांवेर, हाटपिपल्या, सुवासरा, बदनावर, आगर-मालवा, जौरा, नेपानगर, मलहारा, मंधाता और ब्यावरा में उपचुनाव हैं।
एमपी में 28 सीटों पर उपचुनाव हैं। 28 में 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद खाली हुआ है। वहीं, 3 सीटें विधायकों के निधन से खाली हैं। सुमावली, मुरैना, दिमनी अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, करेरा, पोहरी, बामोरी, अशोकनगर, मुंगावली, सुरखी, सांची, अनूपपुर, सांवेर, हाटपिपल्या, सुवासरा, बदनावर, आगर-मालवा, जौरा, नेपानगर, मलहारा, मंधाता और ब्यावरा में उपचुनाव हैं।
क्या है विधानसभा में स्थिति
एमपी में विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 230 है। इसमें 28 सीट खाली है। वर्तमान में बीजेपी के पास 107, कांग्रेस के पास 88, बसपा के पास 2, सपा के 1 और निर्दलीय 4 विधायक हैं। उपचुनाव के बाद किसी भी दल को सत्ता में बने रहने के लिए 116 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। बीजेपी को सत्ता में बने रहे के लिए 9 विधायकों की जरूरत है। वहीं, कांग्रेस को 28 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में दोनों ही दल चुनाव में जीत के लिए जोर लगा रही है।
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