संस्कार न्यूज़
शिवपुरी। महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के आभा मंडल और ग्लैमर के कारण शिवपुरी जिले के अधिकांश सिंधिया समर्थक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मन मारकर ही सही कांग्रेस को छोड़ दिया है और सिंधिया के साथ आने का ऐलान किया है। लेकिन इसके बाद भी उनके चेहरे पर छा रही मायूसी बता रही है कि वह अपने राजनैतिक भविष्य के प्रति अब चिंतित नजर आ रहे हैं।
एक सिंधिया समर्थक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सिंधिया तो भाजपा में अपना स्थान बना लेंगे और उन्होंने बना भी लिया है। वह राज्यसभा सदस्य के साथ-साथ केन्द्र में मंत्री भी बन जाएंगे। लेकिन उनके समर्थकों को क्या मिलेगा। उन्हें नए सिरे से फिर से अपनी राजनीति शुरू करनी होगी और भाजपा जैसे बड़े दल में उन्हें अपना स्थान बनाना मुश्किल होगा। क्योंकि भाजपा में नेताओं और कार्यकर्ताओं की भरमार है।
पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं के बीच कैसे वह अपना स्थान प्रभाव और सम्मान बना पाएंगे यह बड़ी समस्या है। इस सोच के आधार पर कुछ सिंधिया समर्थकों ने कांग्रेस में ही बने रहने का निर्णय लिया है। उनके अनुसार उनका भविष्य कांग्रेस में अब अधिक सुरक्षित नजर आ रहा है।
पोहरी से टिकट की आशा में पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला ने कांग्रेस में जमे रहने का निर्णय लिया है और इसी आशा में कांग्रेस के पूर्व कार्यवाहक जिलाध्यक्ष और पोहरी क्षेत्र के निवासी लक्ष्मीनारायण धाकड़ ने भी सिंधिया के साथ जाने से इंकार कर दिया। नपा के पूर्व उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा जिन्हें कट्टर सिंधियानिष्ट माना जाता था। उन्होंने भी कांग्रेस में बने रहने का निर्णय लिया हैप्रदेश में कांग्रेस सवा साल से सत्ता में थी और इस अवधि में शिवपुरी जिले में सक्रिय सिंधिया समर्थकों ने शासन और प्रशासन में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया था। जिला कांग्रेस अध्यक्ष बैजनाथ सिंह यादव, कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हरवीर सिंह रघुवंशी, प्रदेश सचिव विजय शर्मा, जिला कांग्रेस के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धार्थ लढ़ा और शैलेंद्र टेडिय़ा, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, पूर्व पार्षद आकाश शर्मा, राकेश जैन आमोल, बल्ली ठेकेदार आदि की खासी पूछपरख थी। प्रशासन और पुलिस महकमें में इन्हें अच्छी तबज्जों मिल रही थी।
शिवपुरी जिले का प्रभारी मंत्री भी सिंधिया समर्थक प्रधुम्र सिंह तोमर को बनाया गया था। सिंधिया और श्री तोमर के कारण प्रशासन और पुलिस प्रशासन में इन नेताओं की तूती बोल रही थी। बोलती भी क्यों नहीं। जिले के दो विधायक सुरेश राठखेड़ा और जसमंत जाटव भी सिंधिया समर्थक थे। सुरेश राठखेड़ा की गुड लिस्ट में राजेंद्र पिपलौदा, केशव सिंह तोमर, विजय शर्मा आदि माने जाते थे। जसमंत जाटव के घनिष्ठ सहयोगियों में संदीप माहेश्वरी, सगीर खान आदि थे।
सरकारी कार्यक्रमों में सिंधिया समर्थक मुख्य अतिथि या विशिष्ट अतिथि का दायित्व निर्वहन करते थे। बहुत से सिंधिया समर्थक ट्रांसफर पोस्टिंग में भी लिप्त हो गए थे और उनकी दुकानदारी चालू हो गई थी। प्रशासन भी क्या करना है और क्या नहीं करना है। इसके लिए सिंधिया समर्थकों पर आश्रित था। प्रदेश में सत्ता भले ही कांग्रेस की थी। लेकिन असल तूती सिंधिया समर्थकों की बज रही थी।
निगम मंडलों में नियुक्ति का इंतजार किया जाने लगा था। सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद पर हरवीर सिंह रघुवंशी की नियुक्ति होगी या केशव सिंह तोमर की इसकी चर्चाएं होने लगी थी। महाविद्यालय में जनभागीदारी अध्यक्ष किसे बनाना है। इसके लिए नाम भेजे जाने लगे थे। कहां किसे सेट करना है, इसकी प्लानिंग बनाई जाने लगी थी।
प्रभारी मंत्री से नजदीकी का फायदा भी कुछ सिंधिया समर्थकों को मिल रहा था। सिंधिया समर्थकों को 15 साल बाद पूरा मैदान खाली मिला था। लेकिन अचानक सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे से उनके मनसूबों पर एक तरह से तुषारापात हो गया। लेकिन करें तो करें क्या।
जिंदगी भर सिंधिया परिवार की राजनीति की, भरोसा जीता, अब नए सिरे से कहां से और कैसे शुरूआत करें, यह बहुत मुश्किल काम है। इस कारण अधिकांश सिंधिया समर्थकों ने मन मसोसकर सिंधिया के साथ ही रहने का निर्णय लिया।
विधायक राठखेड़ा ने 62 हजार मतदाताओं का किया अपमान : डॉ. रामदुलारे
पोहरी के कांग्रेस नेता डॉ. रामदुलारे यादव ने वीडियो जारी कर पोहरी विधायक सुरेश राठखेड़ा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि विधायक राठखेड़ा को राठखेड़ा के कारण नहीं कांग्रेस के कारण जीत हांसिल हुई है। उनकी जीत के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खून पसीना बहाया है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत से सुरेश राठखेड़ा को 62 हजार मत मिले हैं और वह विजयी रहे हैं। लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने से पहले क्या किसी कांगे्रेस कार्यकर्ता अथवा अपने मतदाताओं से पूछा है कि उन्हें इस्तीफा देना चाहिए या नहीं। ऐसा न कर उन्होंने पोहरी क्षेत्र के 62 हजार मतदाताओं का अपमान किया है। जिसे माफ नहीं किया जा सकता।
अब कोलारस में किसकी चलेगी
कांंग्रेस सरकार में कोलारस से पराजित होने के बाद भी पूर्व विधायक महेंद्र सिंह यादव की सिंधिया के खास होने के कारण खूब चल रही थी। लेकिन अब सिंधिया भाजपा में हैं और यहां से भाजपा के विधायक महल विरोधी माने जाने वाले वीरेंद्र रघुवंशी हैं। जो एक जमाने में कांग्रेसी थी और सिंधिया के खास होने के कारण उन्हें 2007 में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार बनाया गया था और वह विजयी भी रहे थे।
लेकिन 2014 में सिंधिया से मतभेदों के कारण और उन पर विधानसभा चुनाव में अपनी हार का आरोप लगाकर वीरेंद्र भाजपा में चले गए थे। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सिंधिया के भाजपा में आने के बाद अब कोलारस क्षेत्र में विधायक रघुवंशी का प्रभाव रहेगा या उनसे पराजित हुए पूर्व विधायक महेंद्र यादव का।
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