रतलाम। सामान्य तौर पर जिला अस्पताल में छोटी-मोटी सर्जरी और बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है। बहुत रैयर मामलों में ही बड़ी सर्जरी अब तक हुई होगी लेकिन अब मेडिकल कॉलेज के आने के बाद इसमें आए डॉक्टरों ने इससे आगे बढ़कर कैंसर रोग की सर्जरी कके रतलाम के चिकित्सा इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम ने जिला अस्पताल के आपरेशन थिएटर में कैंसर पीडि़त रोगियों की सर्जरी की शुरुआत कर दी है। कैंसर पीडि़त रोगी की सर्जरी के पहले ही केस में डॉक्टरों ने जो सफलता पाई है उससे उन्हें आगे अन्य इसी तरह की कैंसर की सर्जरी करने के लिए प्रोत्साहित किया है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित बताते हैं कि यह रतलाम मेडिकल कॉलेज के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है कि इतने कम समय में हमने यह काम शुरू कर दिया है।
नए मेडिकल कॉलेजों में संभवत: पहली सर्जरी
पिछले सालों में रतलाम सहित खंडवा, विदिशा, शहडोल, दतिया और शिवपुरी में एक साथ मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृति हुई थी। इन कॉलेजों के भवन बन गए हैं और जिला अस्पतालों में इनके डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे किंतु रतलाम मेडिकल कॉलेज में जो सर्जरी कैंसर पीडि़त की हुई है वह इन सभी मेडिकल कॉलेजों में अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। यह अपने आप में रतलाम मेडिकल कॉलेज और रतलाम के लिए बहुत बड़ी बात है।
एक साल से था कैंसर रोग
उज्जैन जिले के नागदा के समीपी गांव के ५० वर्ष के एक मरीज को कैंसर होने से एक साल से वह परेशान था। उसने कई जगह इलाज लिया लेकिन उसकी तकलीफ कम नहीं हुई। जिला अस्पताल में बैठने वाले मेडिकल कॉलेज डॉक्टरों को पिछले माह मरीज अपना मर्ज दिखाने पहुंचा तो उसका पुराना रिकार्ड देखने के बाद नए सिरे से जांचें करवाई गई। इसमें कैंसर की जांच भी शामिल थी। इन जांचों से पता चला कि कैंसर है।
पिछले सालों में रतलाम सहित खंडवा, विदिशा, शहडोल, दतिया और शिवपुरी में एक साथ मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृति हुई थी। इन कॉलेजों के भवन बन गए हैं और जिला अस्पतालों में इनके डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे किंतु रतलाम मेडिकल कॉलेज में जो सर्जरी कैंसर पीडि़त की हुई है वह इन सभी मेडिकल कॉलेजों में अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। यह अपने आप में रतलाम मेडिकल कॉलेज और रतलाम के लिए बहुत बड़ी बात है।
एक साल से था कैंसर रोग
उज्जैन जिले के नागदा के समीपी गांव के ५० वर्ष के एक मरीज को कैंसर होने से एक साल से वह परेशान था। उसने कई जगह इलाज लिया लेकिन उसकी तकलीफ कम नहीं हुई। जिला अस्पताल में बैठने वाले मेडिकल कॉलेज डॉक्टरों को पिछले माह मरीज अपना मर्ज दिखाने पहुंचा तो उसका पुराना रिकार्ड देखने के बाद नए सिरे से जांचें करवाई गई। इसमें कैंसर की जांच भी शामिल थी। इन जांचों से पता चला कि कैंसर है।
इस टीम ने की सर्जरी
मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रवीणसिंह बघेल ने जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विभाग के एचओडी डॉ. नीलम चाल्र्स से चर्चा कर कैंसर की सर्जरी करने का बीड़ा उठाया। उनकी टीम में डॉ. अतुल, डॉ. अनुराग जैन, डॉ. विक्रम मुजाल्दे, डॉ. भावेश और डॉ. योगेश तिलकर और एनेस्थेसिया के रूप में डॉ. शैलेंद्र डावर को लिया गया। टीम ने इस मरीज के जिस हिस्से में कैंसर था उस हिस्से को सफलतापूर्वक अलग कर दिया।
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बहुत अच्छी शुरुआत हुई
जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के समन्वय से मरीजों को जितना ज्यादा लाभ मिल सके हमारा यह प्रयास है। इसी कड़ी में एक कैंसर पीडि़त मरीज की सर्जरी करना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। रतलाम में कैंसर सर्जरी होना बहुत अच्छी शुरुआत है। प्रदेश में नए खुले अन्य मेडिकल कॉलेजों में अभी इस तरह की शुरुआत नहीं हुई है। रतलाम के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
डॉ. संजय दीक्षित, डीन मेडिकल कॉलेज, रतलाम
मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रवीणसिंह बघेल ने जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विभाग के एचओडी डॉ. नीलम चाल्र्स से चर्चा कर कैंसर की सर्जरी करने का बीड़ा उठाया। उनकी टीम में डॉ. अतुल, डॉ. अनुराग जैन, डॉ. विक्रम मुजाल्दे, डॉ. भावेश और डॉ. योगेश तिलकर और एनेस्थेसिया के रूप में डॉ. शैलेंद्र डावर को लिया गया। टीम ने इस मरीज के जिस हिस्से में कैंसर था उस हिस्से को सफलतापूर्वक अलग कर दिया।
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बहुत अच्छी शुरुआत हुई
जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के समन्वय से मरीजों को जितना ज्यादा लाभ मिल सके हमारा यह प्रयास है। इसी कड़ी में एक कैंसर पीडि़त मरीज की सर्जरी करना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। रतलाम में कैंसर सर्जरी होना बहुत अच्छी शुरुआत है। प्रदेश में नए खुले अन्य मेडिकल कॉलेजों में अभी इस तरह की शुरुआत नहीं हुई है। रतलाम के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
डॉ. संजय दीक्षित, डीन मेडिकल कॉलेज, रतलाम
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